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तत्वनिर्णयप्रासाद१०-अग्निकी प्रेरणासें शुनःशेपने विश्वेदेवताकी स्तुति करी.
८ ऋ०-उखल मूसलकी स्तुति है, क्योंकि, उखल मूसल सोमको कूटके इंद्रके पीने योग्य रस काढते हैं.
१ ऋ०-ऋत्विविशेष हे हरिश्चंद्र देवता! पक्षे हे हरिश्चंद्र! तूं सोमको गाडीऊपर लाद दे.
२२ ऋ०-विश्वेदेवोंकी प्रेरणासें शुनःशेपने इंद्रकी स्तुति करी. हे इंद्र! हमकों गालीयां देनेवाले हमारे शत्रुयांकों तूं मार इत्यादि. १ ऋ०-इंद्रने तुष्टमान होके शुनःशेपकों हिरण्यरथ दिया. ३ ऋ०-इंद्रकी प्रेरणासें शुनःशेपने इंद्रके घोडोंकी स्तुति करी. ३ ऋ०-इंद्रके घोडोंकी प्रेरणासे शुनःशेपने उषःकालाभिमानिनी देवताकी स्तुति करी.
॥ऋ० अ०१ मं० १ अ०७॥ १८ ऋ०-अग्निकी स्तुति, अग्निके कर्तव्य, हे अग्ने! नहुषनामा राजाका तूने सेनापतिपणा करा; किसी लडकी छोकरीका तूं उपदेशक था, इत्यादि.
१५ ऋ०-इंद्रके पराक्रमोंका वर्णन, मेघकों मारा, जलकों भूमिमें गेरा, पर्वतांकों तोडके नदीओंकों ले आया, अनेक असुरांकों मारे, वृत्रनामा असुरने मेघकों रोक रक्खा था तिसकों इंद्रने मारा-इत्यादि.
१५ ऋ०-पणिनामा असुर देवताओकी गौआंकों हरके ले गया, देवताओंने परस्पर सलाह करके इंद्रके पास पुकार करा ; इंद्र गौआंकों ले आया, वृत्रके अनुचरोंकों मारा, मेघ वर्षाया, दैत्य मारे, कुत्सनामा - षिकी रक्षा करी, दशा ऋषिकी रक्षा करी, शत्रुओंके भयसें जलमें मग्न हुआ, इंद्रके अनुग्रहसे बहार निकला, और उसकी रक्षा करी-इत्यादि. ___१२ ऋ०-अश्विनीकुमारोंका सामर्थ्य, उनोंकी प्रार्थना, रथके गर्दभोंका वर्णन, और यज्ञमें आमंत्रणादि. ___ ११ ऋ०-सूर्यका वर्णन, सूर्य बहुत देशोंसें आता है, सूर्यके रथका वर्णन, सूर्यके घोडोंका वर्णन, सोश्यावीनामा घोडा सूर्यका रथ वहता है, लोक स्वर्गोपलक्षित तीन है, दो लोक सूर्यके समीप होनेसें सूर्य उनकों
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