Book Title: Tattva Nirnayprasad
Author(s): Vallabhvijay
Publisher: Amarchand P Parmar

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Page 854
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पृष्ठ पंक्ति ३ १०.१४ , १३ अथ प्रस्तावना शुद्धिपत्रम् অযুত্ত पृष्ट पंक्ति पाणिनी पाणिनि व्योर्लेघु व्योर्लघु चंद्रकाश श्चंद्रःकाश श्चद्रकाश श्चंद्रःकाश शकटायनः शाकटायनः न्यगर जैनें. न्यगरजैनें. श्रेष्टोत्तम श्रेष्टोत्तम सत्यनिष्ट सत्यनिष्ट सम्यकबो. सम्यको " २७ सूक्ष्म ग्रंथोसें सद्ग्रंथोके महाम्त निष्ठावान अग्रेजी ऋग ग्रंथोंसें सदग्रंथोंके माहात्म्य निष्ठावान् अंग्रेजी ऋग् अशुद्ध शुद्ध वलायु बलायु वामदेव सांत्यर्थम वामदेवशांत्यर्थम सोऽस्माक अरि सोऽस्माकमरि पुरुहुत पुरुहूत शिष्टान्नपि शिष्टानपि महामुनीना महामुनीनां उनक उनके होनसे होनेसे ऋषिकृत ऋषिकृत वेस भी वे सभी कण्डसना कण्डासना जिनेद्रा जिनेंद्रा सरस्वती हंस, सरस्वती, हंस तन्त्वः तत्वतः विप्रैः य विप्रैर्य ब्राह्माणोंको ब्राह्मणोंको मरूदेवी मरुदेवी भरतेः भरतः मरूदेव्यां मरुदेव्यां मूल मूलक मुलके मूलकके धर्मकी धर्मको पंडितोमें पंडितोंमें कचा काचा १० यजुस् बोधकी यजुस, बौद्धकी eur २० १७ " २७ ३१ विनयत्रीपी विनयत्रयीपी २ ऐक एक , २१-२५ ऋषभ ऋषभ १२ ३ ऋषि ऋषि १३ २ (तीर्थोंकी स्थापन) (तीर्थों) की स्था करने वाले है) (पना करनेवाले हैं प्रमाण प्रणाम स्वस्तिनः स्वस्तिन वृद्धश्रवा वृद्धश्रवाः स्तायो २२ २१ " २४ जीज्ञासु जिज्ञासु २३ १ " २ कीसी किसी इति प्रस्तावना शुद्धिपत्रम् For Private And Personal

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