________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
पृष्ठ पंक्ति
२२
तहां
०
०
२३ १० २५
कयीये
• 10 2009
ओर
अथ तत्त्वनिणयप्रासादस्य शुद्धिपत्रम् | अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध जीन जिन । २७ ७ . पृछकके पृच्छकके समकित सम्यक्त्व
एकनिष्ट एकनिष्ठ पारंगामी पारगामी
परवादियोंकी परवादियोंको ऋषभदेव ऋषभदेव
२३ प्तहां जीन जिस
मास भास देवप्रधान देवार्य
अंधकारक अंधकारका चिन्ताचिताः चिन्तांचिताः
अनिवडा अनिन्या रुपमद रूपमद
द्रव्य मुद्रामुत्रिको मुद्रा मूर्तिको
स्वमावसें स्वभावसें देवकी देवीकी संसारिक सांसारिक
करीये भद्रबाहू भद्रबाहु
३६
जीवनमोक्षावस्था . और जो और
२ द्रव्यार्थक द्रव्यार्थिक प्रमख प्रमुख
और अनपांगादि अंग उपांगादि
४ कारण क्रियाकारण कोठे कीतने कोठेकी तरें
१ ब्रह्म
ब्रह्मा कालमें आचारादि
२३-२५ सम्यक्तं सम्यक्त्वं __ कालमें आचारादि'
२६ गुणमयी । गुणमय उपासक उपाशक
अर्हनकी । अर्हन्का । पाणिनी पाणिनि
परन्तप परन्तपः लिखत लिखते
सृष्टयाथै सृष्टयर्थं कोई अजाण केई अनजान
थावदष्ठशतं यावदन्दशतं ऋचाचे ऋचामें
४४ २८ अध्याय शुनःशेषादि शुनःशेपादि ४७६ सवासां सर्वासां रक्तस्त्रावमें रक्तस्राव
४८ २१.१५ स्त्रियाओंके-को स्त्रियोंके को तदन तदनु
५० १९ भुकुटी भृकुटी ऋचामें ऋचामें ५७ १० मृत्य
मृत्यु ऋत्विजो ऋत्विजो ६१ १९ पुरुषा परुषा दूत
मुखातटः मुखावटः जैमिनीयाः पनः जैमनीयाः पुनः
चाभदीप्ता चाभवदीप्ता मानं मान्य
६६ १६ पिकला पिंगला जैसे ६७ २१ योजम्
योजनम् जनमतवाले जैनमतवाले ६९ १९ प्रमाण
प्रणाम कोइ लोक केइ लोक ७१ १५.१७ अद्भुत अद्भुत सर्व सर्व
७३ ३ प्रसन्नान् प्रपन्नान्
२८
.२४
२०
दुत
जसे
,
२२
२१
For Private And Personal