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तत्वनिर्णयप्रासाद
लब्धिकी अपेक्षा ज्ञानशक्ति सादि अनंत है, और ज्ञानोपयोगलक्षणसें सादि सांत, और द्रव्यार्थक नयकी विवक्षासें अनादि, अनंत ऐसा विज्ञानरूप लक्षण है जिसका तथा मोहजाल अर्थात् अट्ठाइस ( २८ ) उत्तरप्रकृतिरूप मोहका जाल जिसने हत (नष्ट) किया है, सो महादेव कहा जाता है ॥ ७ ॥
नमोऽस्तु ते महादेव महामद विवर्जित ॥ महालोभविनिर्मुक्त महागुणसमन्वित ॥ ८ ॥
भाषा - महामद करके विवर्जित (रहित), महालोभ करके रहित, और महागुणसंयुक्त, ऐसे हे महादेव ! तेरेकों नमस्कार होवे || ८ || महारागो महाद्वेषो महामोहस्तथैव च ॥
कषायश्च हतो येन महादेवः स उच्यते ॥ ९॥
भाषा - महाराग, महाद्वेष, महाअज्ञान, चशब्दसें सूक्ष्म सत्तागत जो स्वल्प भी राग, द्वेष, अज्ञान और षोडश प्रकारका कषाय ये पूर्वोक्त दूषण जिसने हने हैं, निःसत्ताकीभूत करे हैं सो महादेव कहा जाता है || ९ || महाकामो हतो येन महाभयविवर्जितः ॥
महाव्रतोपदेशी च महादेवः स उच्यते ॥ १० ॥
भाषा - महा काम, जो सर्व जगत्में व्यापक हो रहा है, तिसकों जिसने हण्या है, और जो सात प्रकारके महाभयकरके विवर्जित ( रहित ) है, और जो पंच महाव्रतका उपदेशक है, सो महादेव कहा जाता है ||१०॥ महाक्रोधो महामानो महामाया महामदः ॥ महालोभो हतो येन महादेवः स उच्यते ॥ ११ ॥ महाक्रोध, महामान, महामाया, महामद, महालोभ, ये जिसने हनन किये हैं, सो महादेव कहा जाता है || ११ |
महानन्दो दया यस्य महाज्ञानी महातपः ॥ महायोगी महामौनी महादेवः स उच्यते ॥ १२ ॥ भाषा - अतिशय आत्मानंद, और दया (परम करुणा) है जिसके, और जो
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