________________
卐 समर्पणम् 卐
जिन गुरुदेव की असीम कृपा से मुझे कुछ ज्ञान का प्रकाश मिला, जैन शासन की ज्योत दिखी, और देव गुरु धर्म का अनुभव हुआ । उसीका परिणाम है कि अंशतः असत् क्रियाओं का परिहार करके पूर्वभवीय कर्मों की निर्जरा हेतु तपश्चर्या धर्म मुझे प्राप्त हुआ है और ज्ञानजिज्ञासा की अभिरुचि भी बनी रही है।
वे मेरे परोपकारी पूज्यपाद चिरस्मरणीय, शासनदीपक, स्व, मुनिराज श्री १००८ श्री विद्याविजयजी' महाराज साहब के करकमलों में उन्हीं से प्राप्त हुआ यह शेष विद्याप्रकाश गर्भित 'मामवता की पगडंडो' अर्पित करते हुए मुझे अानन्द हो रहा है ।
पूज्य गुरुवर्य ! मेरी इस तुच्छ भेट को आप स्वीकारें और मुझे सद्बुद्धि सद्विचारणा दें जिससे मैं मेरा श्रेय साध सकू।
विद्यावाड़ी महावीर जयंती
आपका भक्त शिष्य शेषमल सत्तावत
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com