Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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२३७
द्रव्यप्रमाणानुगम-विषयसूची कम नं. विषय
पृष्ठ नं. क्रम नं. विषय __ सामान्य तिर्यंचोंका अवहारकाल २१६/ पर्याप्तोंका प्रमाण १३१ जहां राशिका अनन्तरूप प्रमाण
१४२ पंचेन्द्रिय तिर्यंच मिथ्याष्टि बताया है वहां भी कालप्ररूपणासे
योनिमतियाँका द्रव्य, काल और द्रव्यप्ररूपणाकी सूक्ष्मता सिद्ध
क्षेत्रकी अपेक्षा प्रमाण होती है, इसका स्पष्टीकरण २१७/१४३ पंवेन्द्रियतियच मिथ्यादृष्टि योनि१३२ पंचेन्द्रियतिर्यंच मिथ्यादृष्टियोंका
मतियोंका अवहारकाल और द्रव्य और कालकी अपेक्षा प्रमाण
उसके विषयमें मतभेद
२३० १३३ असंख्यातासंख्यात अपसर्पिणी- १४४ पंचेन्द्रियतिर्यंच मिथ्यादृष्टि योनिउत्सर्पिणीकालों के बीतने पर
मतियोंके अवहारकालका खंडित
आदिके द्वारा कथन पंचेन्द्रिय तिर्यंच मिथ्यादृष्टिराशि
२३२ के विच्छेद होनेकी शंकाका
१४५ पंचेन्द्रिय तिथंच मिथ्यादृष्टि समाधान
योनिमतियोंकी विष्कम्भ सूची १३४ पंचेन्द्रियतिर्यंच मिथ्यादृष्टिराशि
और द्रव्यका वर्णन का क्षेत्रकी अपेक्षा प्रमाण व १४६ सासादन गुणस्थानसे लेकर उनके अवहारकालकी सिद्धि
संयतासंयत तक प्रत्येक गणस्था१३५ पंचेन्द्रियतिर्यंच मिथ्यादृष्टियोंके
नमें पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि.
मतियों का प्रमाण तथा उसे अवहारकालका खंडित आदिके
ओघवत् कहनेसे उत्पन्न हुई । द्वारा प्ररूपण
२२. आपत्तिका परिहार
२३७ १३६ पंचेन्द्रियतिर्यंच मिथ्यादृष्टियोंकी
|१४७ पंचेन्द्रियतिथंच योनिमती असंविष्कंभसूची और द्रव्यका सम
यतसम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि,
२२५ १३७ सासादन गुणस्थानसे लेकर
सासादन और संयतासंयतका अवहारकाल
२३८ संयतासंयत तक प्रत्येक गुण
|१४८ पंचेन्द्रितियेच पर्याप्तों में असंयत- ... स्थानमें पंचेन्द्रिय तिर्यंचोंका
सम्यग्दृष्टि पुरुषवेदियोंसे असंप्रमाण
२२६१
यतसम्यग्दृष्टि स्त्रीवेदियोंके, और १३८ द्रव्यप्रमाणके आदिमें कथन
स्त्रीवेदियोसे, नपुंसकवेदियोंके करनेका प्रयोजन, व द्रव्यप्रमाण अन्य प्रमाणोंसे स्तोक है,
उत्तरोत्तर कम होनेका कारण .
१४९ पंचेन्द्रियतिथंच तीनवेदवाले इसमें हेतु
२२७,
सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंसे पंचेन्द्रिय१३९ द्रव्यप्रमाणसे कालप्रमाणके
तिर्यंच योनिमती असंयतसम्यसूक्ष्मत्वकी सिद्धि
म्हष्टि जीव कम हैं, या अधिक हैं, १४० पंचेन्द्रिय तिर्यंच पर्याप्त मिथ्या
इस विषयमें उपदेशका अभाव २३८ दृष्टियोंका क्षेत्रकी अपेक्षा प्रमाण, |१५० पंचेंद्रियतिर्यंच अपर्याप्तोंका द्रव्य, तथा उनके अवहारकालका
काल और क्षेत्रकी अपेक्षा प्रमाण स्पष्टीकरण
२२८/ व अवहारकालका निरूपण . २३९ १४१ सासादन गुणस्थानसे लेकर
तिथंचगति सम्बन्धी भागाभाग संयतासंयत तक पंचेद्रिय तिर्यंच
और अल्पबहुत्व
र्थन
२२८
२४०
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