Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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३६६ ]
छक्खंडागमे जीवद्वाणं
[ १,२, १०२.
पज्जत्ता संखेज्जगुणा । को गुणगारो ? संखेजा समया । सुहुमवण फइकाइया विसेसाहिया । सव्वत्थोवो तसकाइयअवहारकालो । विक्खंभसूई असंखेज्जगुणा । सेठी असंखेज्जगुणा । को गुणगारो ? सगअवहारकालो | दव्त्रमसंखेज्जगुणं । को गुणगारो ? विक्खंभसूई | पदरमसंखेज्जगुणं । को गुणगारो ? सगअवहारकालो। लोगो असंखेज्जगुणो । को गुणगारो ? सेठी | एवं बादरवप्फइपज्जत्त- पत्तेयसरीरपज्जत्त- बादरणिगोदपदिट्ठिदपज्जत- बादरपुढविपजत्त- बादरआउपज्जत-तसकाइयपज्जत्तमिच्छाइट्ठि-तसकाइय अपजत्ताणं च वत्तव्यं । सासणादण मोघसत्थाणभंगो । एवं सत्थाणप्पाबहुगं समत्तं ।
परत्थापय । सव्वत्थोवा बादरपुढविकाइया । सुहुमपुढविकाइया असंखेज्जगुणा । को गुणगारो ? असंखेजा लोगा । सव्वत्थ वा बादरपुढविकाइया । सुहुमपुढविकाइया असंखेज्जगुणा । को गुणगा। ? असंखेज्जा लोगा | पुढविकाइया विसेसाहिया । सव्वत्थोवा बादर पुढविपज्जत्ता । तस्सेव अपज्जत्ता असंखेज्जगुणा । को गुणगारो ! असंखेज्जा लोगा । हुम पुढविकाइयअपज्जत्ता असंखेज्जगुणा । को गुणगारो ? असंखेजा लोगा ।
अपर्याप्तों से संख्यातगुणे हैं। गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है। सूक्ष्म वनस्पतिकायिक जीव सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्तोंसे विशेष अधिक है। त्रसकायिक जीवोंका अवहारकाल सबसे स्तोक है । उन्हींकी विष्कंभसूची अवहारकालसे असंख्यातगुणी है । जगश्रेणी विष्कंभसूची से असंख्यातगुणी है । गुणकार क्या है ? अपना अवहारकाल गुणकार है ।
कायिक जीवोंका द्रव्य जगश्रेणीसे असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? अपनी विष्कंभसूची गुणकार है । जगप्रतर जसकायिक जीवोंके द्रव्यसे असंख्यात गुणा है | गुणकार क्या है ? अपना अवहारकाल गुणकार है । लोक जगप्रतरसे असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? जगश्रेणी गुणकार है । इसीप्रकार बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्त, प्रत्येकशरीर पर्याप्त, बादर निगोदप्रतिष्ठित पर्याप्त, बादर पृथिवीकायिक पर्याप्त, बादर अष्कायिक पर्याप्त, त्रसकायिक पर्याप्त मिध्यादृष्टि और त्रसकायिक अपर्याप्त जीवोंका स्वस्थान अल्पबहुत्व कहना चाहिये । काय मार्गणा में सासादनसम्यग्दृष्टि आदिका स्वस्थान अल्पबहुत्व सामान्य स्वस्थान अल्पबहुत्वके समान है । इसप्रकार स्वस्थान अल्पबहुत्व समाप्त हुआ ।
अब परस्थानमें अल्पबहुत्व प्रकृत है- बादर पृथिवीकायिक जीव सबसे स्तोक हैं। सूक्ष्म पृथिवीकायिक जीव बादर पृथिवीकायिकोंसे असंख्यातगुणे हैं । गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है । अथवा, बादर पृथिवीकायिक जीव सबसे स्तोक हैं। सूक्ष्म पृथिवीकायिक जीव उनसे असंख्यातगुणे हैं । गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है । पृथिवीकायिक जीव सूक्ष्म पृथिवीकायिकों से विशेष अधिक हैं। अथवा, बादर पृथिवीकायिक पर्याप्त जीव सबसे स्तोक हैं। बादर पृथिवीकायिक अपर्याप्त जीव उनसे असंख्यातगुणे हैं। गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है । सूक्ष्म पृथिवीकायिक अपर्याप्त जीव बादर पृथिवीकायिक अपर्याप्तोंसे असंख्यातगुणे हैं। गुणकार क्या है ! असंख्यात लोक गुणकार है । सूक्ष्म
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