Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 603
________________ (२०) परिशिष्ट शब्द पृष्ठ शब्द २६७ समास समास (जोड़) सर्वपरस्थान सर्वानन्त सर्वासंख्यात ८७, १९७ ११४, २०८ ६ संख्या २०३ संख्यात ११४, २०८ संख्यान संदृष्टि स्वस्थान अल्प हुत्व स्थापनानन्त १३२ स्थापनासंख्यात ३३३ स्तोक ३३१ १३२, १३५ हार ९१, ९३ हारान्तर सागर साधारणशरीर ho सूच्यंगुल संकलनसूत्र ६ मूडबिद्रीकी ताड़पत्रीय प्रतियोंके मिलान । अ - मूडबिद्रीकी प्रतियोंके ऐसे पाठभेद जो अर्थ व पाठशुद्धिकी दृष्टिसे विशेषता रखते हैं, अतएव ग्राह्य हैं। भाग १. पृष्ठ पंक्ति पाठ है। पाठ चाहिये । ९ २ सयलस्थवत्थूणं सयलत्थवत्थाणं , १३ अर्थ-वाचक . पदार्थोंकी अवस्थाके वाचक १८ ४ समवाय-णिमित्तं .. समवायदव्वणिमित्तं ३४ ७ मङ्गलप्राप्तिः मंगलत्वप्राप्तिः ३८ २ मंगलम् । तन्न, मंगलत्वम् । न ३९ १० देहिंतो कय___ अव्वोच्छित्ति य अव्वोच्छित्ति (त्ती) ४१ ६ णिबद्धदेवदा कयदेवदा १७ निबद्ध कर दिया स्वयं किया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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