Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 605
________________ (२२) परिशिष्ट पृष्ठ पंक्ति पाठ है। पाठ चाहिये। १५१ ४ श्रद्धानमनुरक्तता श्रद्धानमुत्कता १५९ - १ अवधरणं अवधाणं जायदि जादि ९ समिल्लिया समल्लियह १७१ २४ वेदक सम्यक्त्वसे मेल कर लेता है वेदक सम्यक्त्वको प्राप्त होता है १९४ ६ सहावयवस्य सहास्यार्षावयवस्य १९६ ६ अपौरुषेयत्वस्य अपौरुषेयस्य १९८ त्पत्तिरिति पुनर्नोत्पत्तिरिति २०१७ पातयति यातयति " २३ गिराता है यातना देता है २०३ ८ दव्व दिव्व. २०३ २२ द्रव्य और भावरूप दिव्य स्वभाववाले २१२ ४ अणेणेव अणेण २१७ ४ संखेन्जदि. संखेज्जे २२० ६ परिमाणत्तादो परिणामत्तादो २४३ २ उत्तिरंग उत्तिग्ग (उत्तिंग) ४ घ्राणमिति घ्राणमिति चेत् २४८ २ भवेदिति भवति २५९ ६ संक्षिन इति संक्षिन:, अमनस्काः असंझिन इति १९ कहते हैं और मनरहित जीवोंको असंज्ञी कहते हैं २६० २ निष्पत्तौ निष्पत्तेः १ कर्मस्कन्धैः नोकर्मस्कन्धैः १४ कर्मस्कंधोंके नोकर्मस्कंधोंके २८१ २ सच्चमोसं ति सच्चमोसं तं २८७ ९ प्रयत्ना सप्रयत्ना, ३० प्रयत्न और प्रयत्नसहित २९३ १ तत्परित्यक्ता परित्यक्ता२९५ ६ को ह्यौ केष्वौ३१८ ५ भूतपूर्वगत भूतपूर्वगति३२० ७ ताम्यां पताम्यां ३२१ ४ जादि जांति , जादि जांति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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