Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 615
________________ (३२) परिशिष्ट पृष्ठ पंक्ति मुद्रित पाठ मूडबिद्रीका पाठ ४६ ६ अवहारविसेसेण य अवहारविसेसेण ५१ ४एयं खंड एयखंड ५५ ७ भागच्छदि त्ति । आगच्छदि। ६० ७ ६८ ४ गुणिदे गुणिदे हि १०९ ३ हेट्टिमविरलणाए हेट्टिमविरलणाणं ११८ १ गुणगारो रासी गुणगाररासी ११९ ३ असंखजगुणाए सेढीए असंखेजगुणसेढीए १२६ ६ भणिज्जमाणं वणिज्जमाणं १३० ७छंडिय छड्डिय १३२ ५ अप्पिदत्तादो पदिदत्तादो १४२ १ एगसेढी एगा सेढी १६२ १ विसेसाभावादो विसेसाभावा १८४ ६ पेच्छामो पच्छामो ५ उवरिमविरलणरूव उपरिमविरलण१९२ ७सो १९३ ५ इच्छाए -मिच्छाए १९८४-परूवय -परूवण. २०१ ४ देवेसु ।। ६७॥ देवेसु (६७ ) इदि २१५ ७-ट्ठियणए -ट्टियणए पुण २१६ १ अवलंबिज्जमाणे ओघपरूवणादो अवलंबिओघपरूवणादो २१८ १ सुत्तस्स वि सुत्तस्स २२४ ७ होदि। आगच्छदि। ४२६ २चदुक्कसाइ चदुकसाइ ४४१ ४ ओघत्तं ओघत्ते ४४७ ६खवा खवगा ४४८ ५चिय ४७६ ७ पदे दो वि एदेणावि स-मूडबिद्रीय ताडपत्रीय प्रतियोंके वे पाठ भेद जो उच्चारण भेदसे संबन्ध रखते हैं, अतएव - उनमेंसे किसीके भी रखने में कोई आपत्ति नहीं है । भाग १ ६ ३ विविहद्धि विविहिद्धि" ५ गओह गयोह hailash १९१ एसो चेय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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