Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 604
________________ मूडबौद्रीकी ताड़पत्रीय प्रतियोंके मिलान (२१) पृष्ठ पंक्ति पाठ है। पाठ चाहिये। .. . ,, ७ कयदेवदा णिवद्धदेवदा ,, १८-१९ देवताको....जाता है,) अन्यकृत देवतानमस्कार निबद्ध किया जाता है, ४९७ साहण -सोहण४९ २० साधन अर्थात् व्रतोंकी रक्षा शोधन अर्थात् व्रतोंकी शुद्धि ५२ ८ रत्नाभोगस्य रत्नभागस्य ६३ ७ -प्राप्त्यतिशय प्राप्तातिशय ६३ १७ निश्चय व्यवहाररूप....प्राप्त हुई निश्चय और व्यवहारसे प्राप्त अतिशयरूप ६४ ३ चउक्क-घाइ-तिए तहेव घाइतिए , १४ चार घातिया कर्मोमेंसे ६५ ६ तेण गोदमेण तेण वि गोमेण , १४ गौतम गणधरने गौतम गणधरने भी ६७ ४ होहदि त्ति होहिदि त्ति ८ चेव चेव होंति ८३ ११ द्रोष्यत्यदुद्रुवत् द्रवति द्रोष्यत्यदुद्रुवत् , २७ जो जो वर्तमानमें पर्यायोंको प्राप्त होता ८६ ५ सन्त्वेते संतु ते ९७ ३ पूजा-विहाणं पूजादिविधाणं , १३ पूजाविधिका पूजा आदि विधिका १०१ ५ णेयप्पमाणं णेयप्पमाणज्ञेयप्रमाण है, क्योंकि ज्ञान- है, क्योंकि ज्ञेयप्रमाण ज्ञानमात्र प्रमाण ही १०२ १ धम्मदेसणं धम्मुवदेसणं १०६ ५ समयस्स ससमयस्स ४ वेइयाणं वेश्या-वंसा संठाणं संठाण, १४ नाना प्रकारके....गलाता है छह प्रकारके संस्थानोंसे युक्त नाना प्रकारके शरीरोंसे पूरित होता है और गलाता है १२३ ८ अद्भुवमं पणिधिकप्पे अद्धवसंपणिधिकप्पे " १० वज्झए बुज्झए १४६ ४ विक्रमेणोपलंभात् ऽक्रमेणोपलंभात् ११० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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