Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 608
________________ मूडबिद्रीकी ताडपत्रीय प्रतियोंके मिलान (२५) पृष्ठ पंक्ति पाठ है। पाठ चाहिये। ६६० ५ एवं बंधहरस्त एवं दहरस्स (डहरस्त) , १८ विशिष्ट बंधको धारण करनेवाले इस छोटे शरीरके शरीरके ८२३ २ चढमाणा चढमाणाणं ८२३ ३ उपसमसम्मत्तेण उवसमसम्मत्ते ,, १५ श्रेणि चढ़नेके पूर्वमें ही परिहार- श्रेणिसे उतरनेके पश्चात् ही उपशमसम्यक्त्वके शुद्धिसंयमके नष्ट हो जाने पर नष्ट हो जाने पर परिहारविशुद्धिसंयमीका । उपशमसम्यक्त्वके साथ परिहार विशुद्धिसंयमीका ८४६ २ पज्जत्तापज्जत्ता आलावा पज्जत्तापज्जत्ता बे आलावा , ११ पर्याप्त और अपर्याप्तकालसंबन्धी पर्याप्त और अपर्याप्तकालसंबन्धी दो आलाप आलाप भाग ३ १४ ३ धनुर्धतायामेवायं धनुर्धतावंस्थायामेवायं २० ३ पुणो पुणो वि २६ ९ अवट्ठाणादो अव्ववडाणादो , २५ वह पदार्थ प्रमाणसे अवस्थित है। प्रमाणसिद्ध पदार्थकी पुनः प्रमाणसे परीक्षा करने पर किसी भी पदार्थकी व्यवस्था नहीं हो सकती है। २८ १० ण अवहिरिज्जति मा अवहिरिज्जंतु ३० ७ रूवसदपुधत्तं रूवदसपुधत्तं, रूवदसमपुधत्तं , २६ शतप्रथक्त्वरूप दसपृथक्त्वरूप ३४ ४ एति रासी , १५ यह जगच्छ्रेणीका सातवां भाग यह राशि जगच्छ्रेणीके सातवें भागप्रमाण है । आता है। ३६ ५ एदस्स समवहागादो । एदस्त वक्खाणस्स सम्मवट्ठाणादो । ३९ १णाणपमाणमिदि णाणं पमाणमिदि १ये दी पाठ दो भिन्न भिन्न ताडपत्रीय प्रतियोंके हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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