Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 469
________________ ३७६] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं [१, २, १०२. भागो । को पडिभागो ? पदरस्स असंखेजदिमागमेत्तपत्तयसरीरपज्जत्तदव्वं पडिभागो । उवरि चोद्दसपदाणि पुव्वं व । अहवा सबत्थावं बादरवणप्फइकाइयपत्तेयसरीरपज्जतदव्वं । यादरणिगोदपदिहिदपज्जत्तदव्बमसंखेज्जगुणं । को गुणगारो' ? आवलियाए असंखेजदि. भागो। उकरि पण्णारस पदाणि पुव्वं व । अहवा सव्वत्थोवं बादरवण प्फइकाइयपत्तेयसरीरपज्जचदबं । बादरणिगोदपदिहिदपज्जत्तदव्क्मसंखेज्जगुणं । बादरवणप्फइकाइयपत्तेयसरीरअपज्जतदव्यमसंखेज्जगुणं । को गुणगारो ? असंखेज्जा लोगा। को पडिभागो ? पदरस्स असंखेजदिभागमेत्तवादरणिगोदपदिहिदपजत्तदव्वपडिभागों। बादरवणप्फइकाइयपत्तेयसरीरा विसेसाहिया । केत्तियमेत्तेण ? पत्तेयसरीरपञ्जत्तमेत्तण । बादरणिगोदपज्जत्ता अणंतगुणा । को गुणगारो ? सगरासिस्त असंखेजदिभागो । को पडिभागो। असंखेज्जलोगमेत्तपत्तेयसरीरदव्बपडिभागो। उवरि चौदस पदाणि पुव्वं व । अहवा सव्वत्थोवं बादरवणप्फइकाइयपत्तेयसरीरपज्जत्तदव्वं । बादरणिगोदपदिद्विदपज्जत्तदव्वमसंखेज्जगुणं । बादरवणप्फइ ......................................... क्या है ? जगप्रतरके असंख्यातवें भागमात्र प्रत्येकशरीर पर्याप्त द्रव्यप्रमाण प्रतिभाग है । इसके ऊपर चौदह स्थान पहलेके समान हैं। अथवा, बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्तोंका द्रव्य सबसे स्तोक है। बादर निगोदप्रतिष्ठित पर्याप्तीका द्रव्य इससे असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भाग गुणकार है। इसके ऊपर पन्द्रह स्थान पहलेके समान हैं । अथवा, बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्तोंका द्रव्य सबसे स्तोक है। बादर निगोदप्रतिष्ठित पर्याप्तोंका द्रव्य उससे असंख्यातगुणा है। बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर अपर्याप्तोंका द्रव्य बादर निगोदप्रतिष्ठित पर्याप्तोसे असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है। प्रतिभाग क्या है ? जगप्रतरके असंख्यातवें भागमात्र बादर निगोद प्रतिष्ठित पर्याप्त द्रव्य प्रतिभाग है। बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर जीव बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर अपर्याप्तोसे विशेष अधिक है। कितनेमात्र विशेषसे अधिक हैं ? प्रत्येकशरीर पर्याप्तोंका जितना प्रमाण है तन्मात्र विशेषसे अधिक है। बादर निगोद पर्याप्त जीव बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर जीवोंसे अनन्तगुणे हैं। गुणकार क्या है ? अपनी राशिका असंख्यातवां भाग गुणकार है। प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोकप्रमाण प्रत्येकशरीर द्रव्य प्रतिभाग है। इसके ऊपर चौदह स्थान पहलेके समान हैं । अथवा, बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्त द्रव्य सबसे स्तोक है। बादर निगोद प्रतिष्ठित पर्याप्त द्रव्य इससे असंख्यातगुणा है। बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर १ क-आप्रत्योः असंखेजा लोगा । को पडिभागो ? पदरस्स असंखेजदिभाव मेत्तवादरणिगोपदिछिदपज्जत्तदब्वं पडिभागो' इत्याधिकः पाठः। २ आ-कप्रत्योः को गुणगारो......दब्वपडिमागो' इति पाठः नास्ति । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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