Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१, २, १०२.] दव्वंपमाणाणुगमे कायमग्गणाअप्पाबहुगपरूवणं [३७९ एदाणि सत्त वि पदाणि एकवारेण पविसिदव्याणि । कुदो ? कमप्पवेसकारणाभावा । रासिसंगहभेदपदुप्पायणटुं कमेण पवेसो कीरदे । ण च एत्थ रासिभेदो अस्थि, पत्तभिज्जमाणभेदपजतत्तादो । सव्वत्थोवो बादरणिगोदपदिद्विदपज्जत्तअवहारकालो। बादरवणप्फइकाइयपत्तेयसरीरपजत्तअवहारकालो असंखेज्जगुणो । को गुणगारो ? आवलियाए असंखेजदिभागो। तस्सेव विक्खंभसूई असंखेज्जगुणा । बादरणिगोदपदिट्ठिदपज्जत्तविक्खंभसूई असंखेज्जगुणा । को गुणगारो ? आवलियाए असंखेजदिभागो । सेढी असंखेज्जगुणा । बादरवणप्फइकाइयपत्तेयसरीरपज्जत्तदव्यमसंखेज्जगुणं । बादरणिगोदपदिदिपज्जत्तदव्यमसंखेजगुणं। को गुणगारो ? आवलियाए असंखेज्जदिभागो। पदरमसंखेज्जगुणं । को गुणगारो ? बादरणिगोदपदिहिदपजत्तअवहारकालो। लोगो असंखेजगुणो। को गुणगारो ? सेढी। बादरवणप्फदिकाइयपत्तेयसरीरअपज्जत्तदव्यं असंखेज्जगुणं । को गुणगारो ? असंखेजा लोगा। बादरवणप्फइकाइयपत्तेयसरीरा विसेसाहिया। केत्तियमेत्तेण ? तस्सेव बादरवण फइकाइयपत्तेयसरीरपज्जत्तमत्तेण । बादरणिगोदपदिहिदअपज्जत्ता असंखेज्जगुणा । को गुणगारो ? असंखेज्जा लोगा। बादरणिगोदपदिहिदा विसेसाहिया । देना चाहिये । क्योंकि, उनके क्रमसे मिलाने का कोई कारण नहीं है । संग्रहरूप राशियोंके भेदके प्रतिपादन करनेके लिये क्रमसे राशि मिलाई जाती है। परंतु यहां पर तो राशिमें कोई भेद पाया नहीं जाता है, क्योंकि, भिधमान राशियों में जितने भेद प्राप्त थे उतने भेद किये जा चुके हैं । बादर निगोदप्रतिष्ठित पर्याप्तोंका अवहारकाल सबसे स्तोक है। बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्तोंका अवहारकाल पूर्वोक्त अवहारकालसे असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भाग गुणकार है। उन्हीं बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्तोंकी विष्कभसूची अवहारकालसे असंख्यातगुणी है। बादर निगोदप्रतिष्ठित पर्याप्तोंकी विष्कंभसूची पूर्वोक्त विष्कंभसूचीसे असंख्यातगुणी है । गुणकार क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भाग गुणकार है। जगश्रेणी उक्त विष्कभसूचीसे असंख्यातगुणी है। बादर बनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्तोंका द्रव्य जगश्रेणीसे असंख्यातगुणा है। बादर निगोद. प्रतिष्ठित पर्याप्तोंका द्रव्य बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्तोंके द्रव्यसे असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भाग गुणकार है । जगप्रतर बादर निगोदप्रतिष्ठित पर्याप्तोंके द्रव्यसे असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? बादर निगोदप्रतिष्ठित पर्याप्तोंका अवहारकाल गुणकार है। लोक जगप्रतरसे असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? अगश्रेणी गुणकार है। बावर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर अपर्याप्तोंका द्रव्य लोकसे असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है । बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येक शरीर जीव बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर अपर्याप्तोंसे विशेष अधिक है। कितनेमात्र विशेषसे अधिक हैं ? उन्हींके पर्याप्तोंका अर्थात् बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्तोंका जितना प्रमाण है तन्मात्र विशेषसे अधिक हैं। बादर निगोदप्रतिष्ठित अपर्याप्त जीव बादर घनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर जीवोसे असंख्यातगुणे हैं । गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक
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