Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
View full book text
________________
१, २, १०२.] दव्वपमाणाणुगमे कायग्गणाअप्पाबहुगपरूवणं [३८५ विसेसाहिया । सुहुमवाउपज्जत्ता विसेसाहिया। वाउपज्जत्ता विसेसाहिया। सुहुमतेउकाइया विसेसाहिया। तेउकाइया विसेसाहिया। सुहमपुडविकाइया विमेसाहिया। पुढविकाइया विसेसाहिया । सुहुमआउकाइया विमेसाहिया । आउकाइया विसेसाहिया । सुहुमवाउकाइया विसेसाहिया । वाउकाइया विसेसाहिया । अकाइया अगंतगुणा । बादरणिगोदपजत्ता' अणंतगुणा । बादरवणप्फइपज्जत्ता विसेसाहिया । बादरणिगोदअपज्जत्ता असंखेजगुणा । बादरवणप्फइअपज्जत्ता विसेसाहिया । बादरणिगोदा विसेसाहिया। बादरवणप्फइकाइया विसेसाहिया। सुहुमवणप्फइअपज्जत्ता असंखेजगुणा । णिगोदअपज्जत्ता विसेसाहिया । वणप्फइअपज्जत्ता विसेसाहिया । सुहुमवणप्फइपज्जत्ता संखेज्जगुणा । णिगोदपज्जत्ता विसेसाहिया । वणप्फइपज्जत्ता विसेसाहिया । सुहुमवणप्फइकाइया विसेसाहिया ।
सूक्ष्म अप्कायिक पर्याप्त जीव पृथिवीकायिक पर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक है । अप्कायिक पर्याप्त जीव सूक्ष्म अप्कायिक पर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक हैं। सूक्ष्म वायुकायिक पर्याप्त जीव अप्कायिक पर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक हैं । वायुकायिक पर्याप्त जीव सूक्ष्म वायुकायिक पर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक हैं। सूक्ष्म तेजस्कायिक जीव वायुकायिक पर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक हैं। तेजस्कायक जीव सूक्ष्म तेजस्कायिक द्रव्यसे विशेष अधिक है। सूक्ष्म पृथिवीकायिक जीव तेजस्कायिक द्रव्यसे विशेष अधिक हैं। पृथिवीकायिक जीव सूक्ष्म पृथिवीकायिक द्रव्यसे विशेष अधिक हैं। सूक्ष्म अप्कायिक जीव पृथिवीकायिक द्रव्यसे विशेष अधिक हैं। अप्कायिक जीव सूक्ष्म अप्कायिक द्रव्यसे विशेष अधिक हैं। सूक्ष्म वायुकायिक जीव अकायिक द्रव्यसे विशेष अधिक है। वायुकायिक जीव सूक्ष्म वायुकायिक जीव द्रव्यसे विशेष अधिक हैं। अकायिक जीव वायुकायिक द्रव्यसे अनन्तगुणे हैं । बादर निगोद पर्याप्त जीव अकायिक जीवोंसे अनन्तगुणे हैं। बादर वनस्पति पर्याप्त जीव बादर निगोद पर्याप्तोंसे विशेष अधिक हैं। बादर निगोद अपर्याप्त जीव बादर वनस्पति पर्याप्त द्रव्यसे असंख्यातगुणे हैं। बादर वनस्पति अपर्याप्त जीव बादर निगोद अपर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक हैं।बादर निगोद जीव बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक हैं। बादर वनस्पतिकायिक जीव बादर निगोद द्रव्यसे विशेष अधिक हैं। सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अपर्याप्त जीव बादर वनस्पतिकायिक द्रव्यसे असंख्यातगुणे हैं। निगोद अपर्याप्त जीव सूक्ष्म वनस्पति अपर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक हैं। वनस्पति अपर्याप्त जीव निगोद अपर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक है। सूक्ष्म वनस्पति पर्याप्त जीव वनस्पति अपर्याप्त द्रव्यसे संख्यातगुण हैं। निगोद पर्याप्त जीव सूक्ष्म वनस्पति पर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक हैं। वनस्पतिकायिक पर्याप्त जीव निगोद पर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक हैं। सूक्ष्म वनस्पति
१ प्रतिषु अपज्ज.' इति पाठः । २ आ-कप्रत्योः सुहुमवणफह. विसे..' इति अधिकः पाठः ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org