Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 580
________________ १, २, १९२.] दव्वपमाणाणुगमे आहारमग्गणाअप्पाबहुगपरूवणं [४८७ हारकालो असंखेजगुणो । सम्मामिच्छाइडिअवहारकालो असंखेजगुणो। आहारिसासणसम्माइट्ठिअवहारकालो संखेज्जगुणो । संजदासजदअवहारकालो असंखेज्जगुणो । अणाहारिअसंजदसम्माइट्ठिअवहारकालो असंखेज्जगुणो । अणाहारिसासणसम्माइट्ठिअवहारकालो असंखेज्जगुणो। तस्सेव दव्यमसंखेज्जगुणं । एवं णेयव्यं जाव पलिदोवमं ति । तदो अबंधगा अणंतगुणा । अणाहारिणो बधंगा मिच्छाइट्ठिणो अणंतगुणा। तदो आहारिणो मिच्छाइट्ठिणो असंखेज्जगुणा। __एवं दवाणिओगद्दारं समत्तं । असंख्यातगुणा है । सम्यग्मिथ्यादृष्टियाका अवहारकाल आहारक असंयतसम्यग्दृष्टि अवहारकालसे असंख्यातगुणा है । आहारक सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल सम्यग्मिथ्यादृष्टि अवहारकालसे संख्यातगुणा है। संयतासंयतोंका अवहारकाल आहारक सासादनसम्यग्दृष्टि अवहारकालसे असंख्यातगुणा है । अनाहारक असंयतसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल संयता. संयतोंके अवहारकालसे असंख्यातगुणा है । अनाहारक सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल अनाहारक असंयतसम्यग्दृष्टि अवहारकालसे असंख्यातगुणा है। उन्हींका द्रव्य अपने अवहारकालसे असंख्यातगुणा है । इसीप्रकार पल्योपमतक ले जाना चाहिये। पल्योपमसे अबन्धक जीव अनन्तगुणे हैं। अनाहारक बन्धक मिथ्यादृष्टि जीव अबन्धकोंसे अनन्तगुणे हैं। इनसे आहारक बन्धक जीव असंख्यातगुणे हैं। इसप्रकार द्रव्यानुयोगद्वार समाप्त हुआ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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