Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
View full book text
________________
१, २, १२३.] दवपमाणाणुगमे जोगमगणाभागाभागपरूवणं
[ ४०७ सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा सच्चमोसवचिजोगिसासणसम्माइहिरासी होदि । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा मोसवचिजोगिसासणसम्माइद्विरासी होदि। सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा सच्चवचिजोगिसासणसम्माइद्विरासी होदि। सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा असच. मोसमणजोगिसासणसम्माइद्विरासी होदि। सेस संखेज्जखंडे कए बहुखंडा सच्चमोसमणजोगिसासणसम्माइद्विरासी होदि । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा मोसमणजोगिसासण. सम्माइट्ठी होति । सेसमसंखेज्जखंडे कए बहुभागा सच्चमणजोगिसासणसम्माइट्ठी होति । सेसमसंखेज्जखंडे कए तत्थ बहुखंडा ओरालियकायजोगिअसंजदसम्माइट्ठिरासी होदि। सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा ओरालियकायजोगिसम्मामिच्छाइद्विरासी होदि। सेसमसंखेजखंडे कए बहुखंडा ओरालियसासणसम्माइद्विरासी होदि। सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा ओरालियकायजोगिसंजदासंजदरासी होदि। सेसं संखेजखंडे कए बहुखंडा असच्चमोसवचिजोगिसंजदासंजदरासी होदि । सेसं संखेजखंडे कए बहुखंडा सच्चमोसवचिजोगिसंजदासजदरासी होदि । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा मोसवचिजोगिसंजदासजदरासी हेदि । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा सच्चवचिजोगिसंजदासंजदरासी होदि । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा असच्चमोसमणजोगिसंजदासंजदरासी होदि । सेसं संखेजखंडे कए बहुखंडा सच्चमोसहै। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग उभयवचनयोगी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग मृषावचनयोगी सासादन. सम्यग्दृष्टि जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग सत्यवचनयोगी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग अनुभयमनोयोगी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग उभयमनोयोगी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग मृषामनोयोगी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि है । शेष एक भागके असंख्यात खंड करने पर बहुभाग सत्यमनोयोगी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि है। शेष एक भागके असंख्यात
करने पर उनमेंसे बहभाग औदारिककाययोगी असंयतसम्यग्दृष्टि जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग औदारिककाययोगी सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवराशि है। शेष एक भागके असंख्यात खंड करने पर बहुभाग औदारिककाययोगी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग औदारिककाययोगी संयतासंयत जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग अनुभयवचनयोगी संयतासंयत जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग उभयवचनयोगी संयतासंयत जीवराशि है। शेष एक भागकेसंख्यात खंड करने पर बहुभाग मुषावचनयोगी संयतासंयत जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग सत्यवचनयोगी संयतासंयत जीवराशि है ।शष एक भागक संख्यात खंड करने पर बहुभाग अनुभयमनोयोगी संयतासंयत जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग उभयमनोयोगी संयतासंयत जीवराशि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org