Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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३५८) छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[ १, २, ९६. अणताणताहि ओसाप्पणि-उस्सप्पिणीहि ण अवहिरंत कालेण ॥९६॥
____ जदि पुवरासीणमणंताणंतत्तावबोहणट्ठमागदमिदं सुत्तं, तो ण अवहिरंति कालेणेत्ति वयणं णिरत्थयमिदि चे, ण एस दोसो, उभयकज्जसाहणद्वत्तादो । पुव्वरासीणमणंताणंतत्तं च सते वि वए अणतेण वि अदीदकालेण असमत्तिं च पदुप्पादेदि त्ति । अवसेसं सुगम ।
खेत्तेण अणंताणंता लोगा॥९७ ॥
अदीदकाले ओसप्पिणि उस्सपिणीपमाणेण कीरमाणे ण अणंताणंताओ ओसप्पिणिउस्सप्पिणीओ भवति । एदाहि अणंताणताहि ओसप्पिणि-उस्मप्पिणीहि पुव्वुत्तचोदसजीवरासीओ ण अवहिरति ति भणंतेण पुबिल्लसुत्तेण एदाणं रासीणमणताणतत्तमदीदकालादो बहुत्तं च जाणाविदं । संपहि इमेण सुत्तेण को अपुचो अत्थो जाणाविदो जेणेदस्स सुत्तस्स पारंभो सफलो होज्ज ? वुच्चदे- एदाणं रासीणमदीदकालादो बहुत्तमेत्तं पुबिल्लसुत्तेण जाणाविदं, ण तस्स विसेसो । एदेण पुण सुत्तेण तेसिं रासीणमदीदकालादो अणंत
कालकी अपेक्षा पूर्वोक्त चौदह जीवराशियां अनन्तानन्त अवसर्पिणियों और उत्सर्पिणियोंके द्वारा अपहृत नहीं होती हैं । ९६ ॥
शंका- यदि पूर्वोक्त जीवराशियोंके अनन्तानन्तत्वके ज्ञान करानेके लिये यह सूत्र आया है तो ‘ण अवहिरति कालेण' यह वचन निरर्थक है ?
. समाधान-यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि, उभय कार्योंके साधन करनेके लिये उक्त वचन दिया है । उक्त पद एक तो पूर्वोक्त राशियोंके अनन्तानन्तत्वका और दूसरे उनमें से प्रत्येक राशिके व्यय होने पर भी अनन्त अतीत कालके द्वारा भी वे समाप्त नहीं होती हैं, इसका प्रतिपादन करता है । शेष कथन सुगम है।
वे चौदह जीवराशियां क्षेत्रकी अपेक्षा अनन्तानन्त लोकप्रमाण हैं ॥ ९७ ॥
शंका- अतीत कालको अघसर्पिणी और उत्सर्पिणीके प्रमाणसे करने पर वे अवसपिणियां और उत्सर्पिणियां अनन्तानन्त नहीं होती हैं, ऐसी अनन्तानन्त अवसर्पिणियों और उत्सर्पिणियोंके द्वारा प्रर्वोक्त चौदह जीवराशियां अपहृत नहीं होती हैं, इसप्रकार प्रतिपादन करनेवाले इसके पहले सूत्रसे इन चौदह राशियोंके अनन्तानन्तत्वका और अतीतकालसे बहुत्यका शान हो जाता है। परंतु इस समय कहे गये इस सूत्रसे कौनसा अपूर्व अर्थ जाना जाता है, जिससे इस सूत्रका प्रारंभ सफल होवे ?
. समाधान-पूर्व अतीत सूत्रने इन चौदह राशियोंका अतीत कालसे बहुत्वका ज्ञान करा दिया, किन्तु उसकी विशेषताका शान नहीं कराया। परंतु यह सूत्र उन राशियोंका अतीत कालसे अनन्तगुणस्वका ज्ञान कराता है। आगे उसीका स्पष्टीकरण करते हैं-पूर्व सूत्रमें
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