Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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४६] छवखंडागमे जीवहाणं
[ १, २, ५ अणंतमागब्भहियसव्वजीवरामिणा तदुवरिमवग्गे भागे हिदे किमागच्छदि ? अणंतभागहीणसव्वजीवरासी आगच्छदि । सव्वत्थ कारणं पुव्वं व वत्तव्यं । एत्थ उवउज्जंतीओ गाहाओ
अवहारवडिरूवाणवहारादो हु लचअवहारो। रूवहिओ हाणीए होदि हु वड्डीए विवरीदो ॥ २४ ॥ अवहारविसेसेण य छिण्णवहाराटु लद्धरूवा जे । रूवाहियऊणा वि य अवहारो हाणिवडीणं ॥ २५ ॥ लद्धविसेसच्छिण्णं लद्धं रूवाहिऊणयं चापि । अवहारहाणिवडीणवहारो सो मुणेयव्वो ॥ २६ ॥
शंका-- अनन्तवां भाग अधिक संपूर्ण जीवराशिका संपूर्ण जीवराशिके उपरिम वर्गमें भाग देने पर कौनसी राशि आती है ? ।
समाधान-अनन्तवां भाग हीन संपूर्ण जीवराशि आती है । सर्वत्र कारणका कथन पहले के समान करना चाहिये । अब यहां पर उपयुक्त गाथाएं दी जाती हैं
भागहारमें उसीके वृद्धिरूप अंशके रहने पर भाग देनेसे जो लन्ध भागहार (हर) आता है वह हानिमें रूपाधिक और वृद्धि में इससे विपरीत अर्थात् एक कम होता है ॥२४॥
उदाहरण ( बीजगणितसे )
क
...
- Dक
न
-
१
(अंकगणितसे)-- (१)* = = १ - ३ (२) २
= ३ = १ + !
भागहार विशेषसे भागहारके छिन्न अर्थात् भाजित करने पर जो संख्या आती है उसे रूपाधिक अथवा रूपन्यून कर देने पर वह क्रमसे हानि और वृद्धिमें भागहार होता है ॥ २५॥
लन्ध विशेषसे लन्धको छिन्न अर्थात् भाजित करने पर जो संख्या उत्पन्न हो उसे एक अधिक अथवा एक कम कर देने पर वह क्रमसे भागहारकी हानि और वृद्धिका भागहार होता है॥२६॥
उदाहरण गाथा २५-२६ के(बीजग
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