Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
View full book text
________________
१५४] छक्खंडागमे जीवाणं
[ १, २, १७. भागे हिदे मिच्छाइहिरासी आगच्छदि । तस्स भागहारस्स अद्धच्छदणयमेत्ते रासिस्स अद्धच्छेदणए कदे वि मिच्छाइहिरासी आगच्छदि । एदस्स अद्धच्छेदणया केत्तिया ? अवहारद्धच्छेदणयसहिदजगपदरसमाणवेरूववग्गच्छेदणयमेत्ता । उपरि अद्धच्छेदणयमेलावणविहाणं जाणिऊण वत्तव्यं । वेरुवपरूवणा गदा । अट्ठरूवे वत्तइस्सामो । अवहारकालेण जगपदरे भागे हिदे मिच्छाइद्विरासी आगच्छदि। घणंगुलविदियवग्गमूलद्धच्छेदणएहि ऊणसेढिअद्धच्छेदणयमेत्ते जगपदरस्स अद्धच्छेदणए कदे वि मिच्छाइद्विरासी आगच्छदि । अहवा अवहारकालेण जगपदरं गुणेऊण तेण तस्सुवरिमवग्गे भागे हिदे मिच्छाइद्विरासी आगच्छदि । तं जहा- जगपदरेण तस्सुवरिमवग्गे भागे हिदे जगपदरमागच्छदि । पुणो वि अवहारकालेण जगपदरे भागे हिदे मिच्छाइहिरासी आगच्छदि । एदस्स भागहारस्स
उक्त भागहारके जितने अर्धच्छेद हो उतनीवार उक्त भज्यमान राशिके अर्धच्छेद करने पर भी नारक मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है।
उदाहरण-उक्त भागहारके ४७ अर्धच्छेद हैं, अतः इतनीवार उक्त भज्यमान राशिके अर्धच्छेद करने पर १३१०७२ प्रमाण नारक मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है।
शंका-उक्त भागहारके अर्धच्छेद कितने हैं ?
समाधान- जगप्रतरके समान द्विरूपवर्गके जितने अर्धच्छेद हों उनमें अवहारकालके अर्धच्छेद मिला देने पर उक्त भागहारके अर्धच्छेदोंका प्रमाण होता है।
उदाहरण-जगप्रतरसमान द्विरूपवर्ग ४२९४९६७२९६ के अर्धच्छेद ३२, ३२७६८ के १५, अतएव ३२ + १५ = ४७ अ.।
. ऊपरके स्थानों में भी अर्धच्छेदोंके मिलानेकी विधि जानकर कहना चाहिये । इसप्रकार द्विरूपप्ररूपणा समाप्त हुई।
अब अष्टरूपमें गृहीत उपरिम विकल्पको बतलाते हैं- अवहारकालसे जगप्रतरके भाजित करने पर नारक मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है।
उदाहरण-४२९४९६७२९६ : ३२७६८ = १३१०७२ सा. ना. मि.
अथवा, घनांगुलके द्वितीय वर्गमूलके अर्धच्छेदोंको जगश्रेणीके अर्धच्छेदोंमेंसे कम करके जो प्रमाण शेष रहे उतनीवार जगप्रतरके अर्धच्छेद करने पर भी नारक मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है।
. उदाहरण-६५५३६ प्रमाण जगश्रेणीके अर्धच्छेद १६ मेंसे घनांगुलके द्वितीय वर्गमूल २के अर्धच्छेद १ कम करने पर १५ शेष रहते हैं, अतः १५ वार ४२९४९६७२९६ प्रमाण जगप्रतरके अर्धच्छेद करने पर १३१०७२ प्रमाण नारक मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है।
- अथवा, अवहारकालसे जगप्रतरको गुणित करके जो लब्ध आवे उसका जगप्रतरके उपरिम वर्गमें भाग देने पर नारक मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है। उसका स्पष्टीकरण इसप्रकार है-जगप्रतरका उसके उपरिम वर्गमें भाग देने पर जगप्रतर आता है। पुनः
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org