Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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२९२] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[१, २, ७३. अवहारकालपडिलोमेण जाव सोहम्मीसाणअसंजदसम्माइट्ठिदव्यं पत्तं ति । तदो पलि. दोवममसंखेज्जगुणं । तदो उवरि सोहम्मीसाणविक्खंभसूची असंखेज्जगुणा । को गुणगारो ? सगविक्खंभसईए असंखेज्जदिभागो । को पडिभागो ? पलिदोवमपडिभागो। अहवा सूचिअंगुलपढमवग्गमूलस्स असंखेजदिभागो असंखेज्जाणि विदियवग्गमूलाणि । केत्तियमेत्ताणि ? तदियवग्गमूलस्स असंखेजदिभाणमेत्ताणि । को पडिभागो ? पलि. दोवमपडिभागो। भवणवासियमिच्छाइद्विविक्खंभसूई असंखेज्जगुणा । को गुणगारो ? पदरंगुलस्स असंखेजदिभागो असंखेज्जाणि सूचिअंगुलाणि । केत्तियमेत्ताणि ? तदियवग्गमूलमत्ताणि । को पडिभागो ? सोहम्मीसाणमिच्छाइट्ठिविक्खंभसूई व । मिच्छाइडिअवहारकालो असंखेज्जगुणो । को गुणगारो ? सूचिअंगुलस्स असंखेजदिभागो संखेज्जाणि सूचिअंगुलपढमवग्गमूलाणि । को पडिभागो ? भवणवासियमिच्छाइट्ठिविक्खंभसूई पडिभागो। जोइसियदेवमिच्छाइट्ठिअवहारकालो विसेसाहिओ । केवडिओ विसेसो ? पदरंगुलस्स संखेजदिभागो। वाणवेंतरमिच्छाइडिअवहारकालो संखेज्जगुणो । को गुणगारो? संखेज्जा समया। सणक्कुमार-माहिदमिच्छाइटिअवहारकालो असंखेजगुणो।
सम्यग्दृष्टियोंका द्रव्य प्राप्त होवे तबतक ले जाना चाहिये। सौधर्म और ऐशान कल्पके भसंयतसम्यग्दृष्टियोंके द्रव्यसे पल्योपम असंख्यातगुणा है। पल्योपमके ऊपर सौधर्म और पशान कल्पकी मिथ्यादृष्टि विष्कंभसूची असंख्यातगुणी है। गुणकार क्या है ? अपनी विष्कंभसूचीका असंख्यातवां भाग गुणकार है। प्रतिभाग क्या है ? पल्योपम प्रतिभाग है। अथवा, सूच्यंगुलके प्रथम वर्गमूलका असंख्यातवां भाग गुणकार है जो सूच्यंगुलके असंख्यात द्वितीय वर्गमूलप्रमाण है। सूच्यंगुलके उन असंख्यात द्वितीय वर्गमूलोंका प्रमाण कितना है ? तीसरे वर्गमूलके असंख्यातवें भाग है । प्रतिभाग क्या है ? पल्योपम प्रतिभाग है । सौधर्म और ऐशान कल्पके मिथ्यादृष्टियोंकी विष्कंभसूचीसे भवनवासी मिथ्यादृष्टि विष्कंभसूची असंख्यातगुणी है। गुणकार क्या है? प्रतरांगुलका असंख्यातवां भाग गुणकार है जो असंख्यात सूच्यंगुलप्रमाण है। उन असंख्यात सूच्यंगुलोंका प्रमाण कितना है ? तृतीय वर्गमूलमात्र है। प्रतिभाग क्या है ? सौधर्म और ऐशान कल्पकी मिथ्यादृष्टि विष्कंभसूचीके प्रतिभागके समान प्रतिभाग है। सामान्य देव मिथ्यादृष्टियोंका अवहारकाल असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? सूच्यंगुलके असंख्यातवें भाग गुणकार है जो सूच्यंगुलके संख्यात प्रथम धर्गमूलप्रमाण है। प्रतिभाग क्या है ? भवनवासियोंकी मिथ्यादृष्टि विष्भसूची प्रतिभाग है। इस देव मिथ्यादृष्टि अवहारकालसे ज्योतिषी देवोंके मिथ्यादृष्टियोंका अवहारकाल विशेष अधिक है। कितना विशेष है ? प्रतरांगुलका संख्यातवां भाग विशेष है। ज्योतिषियों के मिथ्यादृष्टि अवहारकालसे वाणव्यन्तरोंके मिथ्यादृष्टियोंका अवहारकाल संख्यातगुणा है। गुणकार क्या है? संख्यात समय गुणकार है । वाणव्यन्तर मिथ्यादृष्टि अवहारकालसे सानत्कुमार और माहेन्द्र कल्पके मिथ्यादृष्टियोंका अवहारकाल असंख्यातगुणा है। गुणकार
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