Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१९५] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[ १, २, १९. हिंतो जदि एगा अवहारकालसलागा लब्भदि तो सामण्णअवहारकालमेत्तसामण्णणेरइयखंडसलागाणं किं लभामो त्ति पमाणेण इच्छाए ओवट्टिदाए पढमपुढविमिच्छाइट्ठिअवहारकालो होदि । अहवा पढमपुढविमिच्छाइट्ठिखंडसलागाहि सामण्णअवहारकालमोवट्टिय लद्धेण छपुढविखंडसलागा गुणिदे पक्खेवअवहारकालो होदि । अहवा लद्धं छप्पडिरासिं काऊण छण्हं पुढवीणं सग-सगखंडसलागाहि गुणिदे सग-सगपक्खेवअर्व
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प्राप्त होती है तो सामान्य अवहारकालमात्र नारक मिथ्यादृष्टि खंडशलाकाओंकी कितनी खंडशलाकाएं प्राप्त होंगी, इसप्रकार राशिक करके प्रमाणराशि प्रथम पृथिवीसंबन्धी खण्डशलाकाओंसे इच्छाराशि सामान्य मिथ्यादृष्टि अवहारकालगुणित सामान्य नारक मिथ्याष्टि खण्डशलाकाओंको अपवर्तित करने पर प्रथम पृथिवीके मिथ्यादृष्टि द्रव्यका अवहारकाल होता है। उदाहरण-प्रमाणराशि १९३, फलराशि १, इच्छाराशि ३२७६८ x २५६;
३२७६८ x २५६ - ८३८८६०८ प्र. पृ. मि. अ.
१९३ १९३ । अथवा, प्रथम पृथिवीकी मिथ्यादृष्टि खंडशलाकाओंसे सामान्य नारक मिथ्यादृष्टि अवहारकालको अपवर्तित करके जो लब्ध आवे उससे छह पृथिवियोंकी मिथ्यादृष्टि खंडशलाकाओंके गुणित करने पर प्रक्षेप अवहारकाल होता है। उदाहरण-३२७६८ : १९३ - ३२७६८, ३२७६८ ४६३ = २०६४३८४ प्र. अ. का. - १९३' १९३५
१९३ अथवा, प्रथम पृथिवी मिथ्यादृष्टि खंडशलाकाओंसे सामान्य नारक मिथ्यादृष्टि अवहारकालको अपवर्तित करके जो लध्ध आया उसकी छह प्रतिराशियां करके छह पृथिवियोंकी अपनी अपनी शलाकाओंसे गुणित करने पर अपना अपना प्रक्षेप अवहारकाल होता है।
उदाहरण-३२७६८ x १ = ३२७६८ . सातवीं पृथिवीकी अपेक्षा,
१९३
३२७६८४८%
३२७६८ - २ = ६५५३६ छठी पृथिवीकी अपेक्षा,
१९३ ३२७६८ . १३१०७२
- पांचवीं पृथिवीकी अपेक्षा, १९३
१९३
२६२१४४ चौथी पृथिवीकी अपेक्षा, ३२७६८. ५२४२८८ x
सरी पृथिवीकी अपेक्षा,
१९३ ३२७६८.
७६ दूसरी पृथिवीकी अपेक्षा प्र. अवहारकाल. १९३
१९३ x ३२ - १०४८५७६
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