Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१. २, ६.] दव्वपमाणाणुगमे सासणसम्माइडिआदिपमाणपरूवणं
[७७ घणाघणे वत्तइस्सामो । असंखेज्जावलियाहि पलिदोवमपढमवग्गमूलं गुणेऊण तेण घणपल्लविदियवग्गमूलं गुणेऊण तेण घणाघणपल्लविदियवग्गमूले भागे हिदे सासणसम्माइहिरासी आगच्छदि। केण कारणेण ? घणपल्लविदियवग्गमूलेण घणाघणपल्लविदियवग्गमूले भागे हिदे घणपल्लपढमवग्गमूलमागच्छदि । पुणो वि पलिदोवमपढमवग्गमूलेण घणपल्लपढमवग्गमूले भागे हिदे पलिदोवममागच्छदि । पुणो वि असंखेज्जावलियाहि पलिदोवमे भागे हिदे सासणसम्माइहिरासी आगच्छदि । एवमागच्छदि त्ति कट्ट गुणेऊण भागग्गहणं कदं । एत्थ दुगुणादिकरणे कदे हेडिमवियप्पो समप्पदि।
उवरिमवियप्पो तिविहो, गहिदो गहिदगहिदो गहिदगुणगारो चेदि । तत्थ वेरूवधाराए गहिदं वत्तइस्सामो । असंखेज्जावलियाहि पलिदोवमे भागे हिदे सासणसम्मा
प्रमाण जो भागहार है वह पल्योपमके प्रथम वर्गमूलसे छोटा है, इसलिये यहां पर अधस्तन विकल्प बन जाता है। परंतु मिथ्यादृष्टि जीवराशिका प्रमाण निकालनेके लिये जो भागहार कह आये हैं वह जीवराशिक उपरिम वर्गके प्रथम वर्गमूलरूप जीवराशिसे बड़ा है, अतएव वहां पर द्विरूपवर्गधारामें अधस्तन विकल्प किसी प्रकार भी संभव नहीं है।
___ अब घनाघनधारामें अधस्तन विकल्प बतलाते हैं-असंख्यात आवलियोंसे पल्योपमके प्रथम वर्गमूलको गुणित करके जो लब्ध आवे उससे घनपल्यके द्वितीय वर्गमूलको गुणित करके जो लब्ध आवे उसका घनाघनपल्यके द्वितीय वर्गमूलमें भाग देने पर सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशिका प्रमाण आता है, क्योंकि, घनपल्यके द्वितीय वर्गमूलका घनाघन पल्यके द्वितीय वर्गमूलमें भाग देने पर घनपल्यका प्रथम वर्गमूल आता है। अनन्तर पल्योपमके प्रथम वर्गमूलका घनपल्यके प्रथम वर्गमूलमें भाग देने पर पल्योपम आता है। अनन्तर असंख्यात आवलियोंका पल्योपममें भाग देने पर सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशिका प्रमाण आता है। घनाघनधारामें इसप्रकार सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशिका प्रमाण अता है, ऐसा समझकर पहले गुणा करके अनन्तर भागका ग्रहण किया।
उदाहरण-पल्योपमका प्रथम वर्गमूल २५६, घनपल्यका द्वितीय धर्गमूल ४०९६॥ घनाघन पल्यका द्वितीय वर्गमूल ६८७१९४७६७३६,
६८७१९४७६७३६
३२x२५६x४०२६ २०४८ सा. यहां पर द्विगुणादिकरणके कर लेने पर अधस्तन विकल्प समाप्त हो जाता है।
उपरिम विकल्प तीन प्रकारका है, गृहीत, गृहीतगृहीत और गृहीतगुणकार । उनमें से पहले द्विरूप वर्गधारामें गृहीत उपरिम विकल्पको बतलाते हैं-असंख्यात आवलियोंका पल्योपममें भाग देने पर सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशिका प्रमाण आता है।
उदाहरण-६५५३६ ३२ = २०४८ सा.
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