Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१, २, ६.] दव्वपमाणाणुगमे सासणसम्माइडिआदिपमाणपरूवणं
[७५ सासणसम्माइडिरासी होदि । एदेण कमेण असंखेज्जाणि वग्गट्टाणाणि हेढा ओसरिऊण असंखेज्जावलियाहि पदरावलियाए भागे हिदाए जं भागलद्धं तेण पदरावलियं गुणेऊण तेण गुणिदरासिणा तदुवरिमवग्गं गुणेऊण एवमुवरिमवग्गट्ठाणाणि पढमवग्गमूलंताणि सव्याणि णिरंतरं गुणिदे सासणसम्माइद्विरासी होदि। जदि वि णिरुत्ति भण्णमाणे एसो अत्थो पुव्वं परूविदो तो वि ण पुणरुत्तो होदि, तिण्णि वि वग्गधाराओ अस्सिऊण हिदहेट्टिमवियप्पसंबंधत्तादो। वेरूवे हेडिमवियप्पो गदो।
अहरूवे हेहिमवियप्पं वत्तइस्सामो । असंखेज्जावलियाहि पलिदोवमपढमवग्गमूलं गुणेऊण तेण घणपल्लपढमवग्गमूले भागे हिदे सासणसम्माइद्विरासी होदि। केण कारणेण ? पलिदोरमपढमवगमूलेण घणपल्लपढमबग्गमूले भागे हिदे पलिदोवममागच्छदि । पुणो असंखेज्जावलियाहि पलिदोवमे भागे हिदे सासण सम्माइद्विरासी आगच्छदि। एवमाग
जीघराशि होती है। उदाहरण-६५५३६
४ ३२ -१, ४४१ =३, १६४३ = ८; २५६४८ = २०४८ सा. इसी क्रमसे असंख्यात वर्गस्थान नीचे जाकर असंख्यात आवलियोंका प्रतरावलीमें भाग देने पर जो भाग लब्ध आवे उससे प्रतरावलीको गुणित करके उस गुणित राशिसे प्रतरावलीके उपरिम वर्गको गुणित करके इसीप्रकार प्रथम वर्गमूलपर्यन्त उपरिम उपरिम संपूर्ण वर्गस्थानोंको निरन्तर गुणित करने पर सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि होती है। उदाहरण-प्रतरावलि = २.
२’ ३२ = १६; २४ १६ = १, ४ x १ = १;
१६४३ = ८, २५६४ ८ = २०४८ सा. यद्यपि निरुक्तिका कथन करते समय यह विषय पहले वहां पर कह आये हैं, तो भी इस विषयके यहां पर पुनः कथन करनेसे पुनरुक्त दोष नहीं होता है, क्योंकि, यहां पर तीनों ही वर्गधाराओंका आश्रय लेकर स्थित अधस्तन विकल्पका संबन्ध है। इसप्रकार द्विरूप वर्गधारामें अधस्तन विकल्पका कथन समाप्त हुआ।
अब घनधारामें अधस्तन विकल्पको बतलाते हैं। असंख्यात आवलियोंसे पल्योपमके प्रथम वर्गमूलको गुणित करके जो लब्ध आधे उसका घनपल्यके प्रथम वर्गमूलमें भाग देने पर सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि होती है, क्योंकि, पल्योपमके प्रथम वर्गमूलले धनपल्यके प्रथम वर्गमूलके भाजित करने पर पल्योपमका प्रमाण आता है। अनन्तर असंख्यात आवलियोंसे पल्योपमके भाजित करने पर सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि आती है। घनपल्यमें इसप्रकार सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि आती है, ऐसा समझ कर पहले गुणा करके अनन्तर भागका ग्रहण किया। उदाहरण--पल्योपमका प्रथम वर्गमूल २५६, घनपल्यका प्रथम वर्गमूल १६७७७२१६;
२५६ ४ ३२ = ८१९२, १६७७७२१६ : ८१९२ = २०४८ सा.
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