Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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८६)
छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[ १, २, ६. वग्गे भागे हिदे सासणसम्माइट्ठिरासी आगच्छदि । तस्स भागहारस्स अद्धच्छेदणयमेत्ते रासिस्स अद्धच्छेदणए कदे वि सासणसम्माइद्विरासी अवचिट्ठदे । एवं सव्वत्थ वत्तन्वं । वेरूवपरूवणा गदा। अद्वरूवे वत्तइस्सामो । घणपल्लपढमवगमूलस्स असंखेजदिभागेण सासणसम्माइट्ठिरासिणा उपरि इच्छिदवग्गे भागे हिदे जं भागलद्धं तेण तमेव वग्गं गुणेऊण तस्सुवरिमवग्गे भागे हिदे सासणसम्माइहिरासी आगच्छदि । तस्स भागहारस्स अद्धच्छेदणयमेत्ते रासिस्स अद्धच्छेदणए कदे वि सासणसम्माइटिरासी अवचिट्ठदे । एवं सव्वत्थ वत्तव्यं । अट्टरूवपरूवणा गदा । घणाघणे वत्तइस्सामो । घणाघण
उदाहरण-६५५३६२
उदाहरण-२०४८ -
2 = ६५५३६ ४ ३२, ६५५३६२ x ६५५३६ ४ ३२ = ६५५३६३ ४ ३२६ ६५५३६२४ ६५५३६..
२०४८ सा.
६५५३५४३२
उक्त भागहारके जितने अर्धच्छेद हों उतनीवार उक्त भव्यमान राशिके अर्धच्छेद करने पर भी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि ही आती है।
उदाहरण—उक्त भागहारके ५३ अर्धच्छेद होते हैं, अतएव इतनीवार उक्त भज्यमान राशिके अर्धच्छेद करने पर भी २०१८ प्रमाण सासादनसम्यग्दृष्टि राशि आती है।
इसीप्रकार सर्वत्र करना चाहिये । इसप्रकार द्विरूपप्ररूपणा समाप्त हुई। अब अष्टरूपमें गृहीतगुणकार उपरिम विकल्पको बतलाते हैं
घनपल्यके प्रथम वर्गमूलके असंख्यातवें भागरूप सासादनसम्यग्दृष्टि राशिका घनपल्यके ऊपर इच्छित वर्गमें भाग देने पर जो भाग लब्ध आवे उससे उसी इच्छित वर्गको गुणित करके आई हुई लब्ध राशिका इच्छित वर्गके उपरिम वर्गमें भाग देने पर सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशिका प्रमाण आता है। उदाहरण-६५५३६३ का प्रथम वर्गमूल २५६, ___२५६५ ६५५३६४ ६५५३६ = ६५५३६' x ३२,
२०४८ ६५५६६ ४ ६५५३६४३२ = ६५५३६११ ४ ३२, ६५५३६६ x ६५५३६..
६५५३६१४३२ = २०४८ सा.
उक्त भागहारके जितने अर्धच्छेद हों उतनीवार उक्त भज्यमान राशिके अर्धच्छेद करने पर भी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि आती है।
उक्त भागहारके १८१ अर्धच्छेद होते हैं, अतएव इतनीवार उक्त भज्यमान राशिके अर्धपछेद करने पर भी २०४८ प्रमाण सासादनसम्यग्दृष्टि राशि आती है।
इसीप्रकार सर्वत्र कहना चाहिये । इसप्रकार अष्टरूप प्ररूपणा समाप्त हुई। अब
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