Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१, २, ५. ] दव्वपमाणाणुगमे मिच्छाइडिपमाणपरूवणं
[४१ सव्वजीवरासिस्सुवरि पक्खिविय तस्स धुवरासि त्ति णाम कादूण ठवेदव्यो २५६ । सम्वजीवरासिउवरिमवग्गे २५६ धुवरासिपमाणमेत्तखंडे कदे तत्थ एगखंडं १३ मिच्छाइहिरासिपमाणं होदि । खंडिदं गदं । धुवरासिणा सव्वजीवरासिउवरिमवग्गे भागे हिदे जं भागलद्धं तं मिच्छाइद्विरासिपमाणं होदि । भाजिदं गदं । धुवरासिं विरलेऊण एक्केकस्स रूवस्स सव्वजीवरासिउवरिमवग्गे समखंडं कादण दिण्णे एगखंडपमाणं मिच्छाइहिरासी
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जो लब्ध आवे उसको संपूर्ण जीवराशिमें मिला देने पर जितना प्रमाण हो उसकी ध्रुवराशि २५.६ ऐसी संज्ञा करके स्थापित कर देना चाहिये ।
उदाहरण ( बीजगणितसे )जीवराशि = अ+ब; सिद्धतेरहगुणस्थानवर्ती राशि = अ; मिथ्यादृष्टि जीवराशि = ब. इन संकेतोंसे पूर्वोक्त रीतिके अनुसार ध्रुवराशि निम्न आती है
अ+ अ + (अ+ब) = अ + २अब + ब = ( अ + ब) प्रवराशि
१२
१३
(अंकगणितसे) - ३ + 8 + १६ = ३९ + ९ + २०८ = २५६ ध्रुवराशि
इसप्रकार ध्रुवराशिका जितना प्रमाण है (२.५७) उतने संपूर्ण जीवराशिके उपरिम वर्ग २५६ के खण्ड करने पर उनमेंसे एक खण्ड १३ मिथ्यादृष्टि जीवराशिका प्रमाण होता है । इसप्रकार खण्डितका कथन समाप्त हुआ।
___ संपूर्ण जीवराशिके उपरिम वर्गमें धुवराशिका भाग देने पर जितना भजनफल आवे उतना मिथ्यादृष्टि जीवराशिका प्रमाण है। इसप्रकार भाजितका वर्णन समाप्त हुआ।
उदाहरण ( भाजित )- २५६ : २१६ = २१६ ४ ३३३ = १३ मिथ्यादृष्टि राशि ।
ध्रुवराशिका विरलन करके और उस विरलित राशिके प्रत्येक एक पर संपूर्ण जीवराशिके उपरिम वर्गके समान खण्ड करके देयरूपसे दे देने पर उनमेंसे एक खण्डप्रमाण मिथ्यादृष्टि जीवराशि होती है । इसप्रकार विरलितका वर्णन समाप्त हुआ।
उदाहरण ( विरलित )- ध्रुवराशि १६ = १९१६
ध्रुवराशिका विरलन और जीवराशिके उपरिम वर्गके समान खंड करके स्थापित करना१३ १३ १३ १३ १३ १३ १३ १३ १३ १३ १३ १३ १३ १३ १३ १३ १३ १३ १३ ९
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