Book Title: Shatkhandagama Pustak 03
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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पृष्ठ नं.
षट्खंडागमकी प्रस्तावना : क्रम नं. विषय
पृष्ठ नं. क्रम नं. विषय - पृथिवीके अवहारकालके उत्पन्न... बतलानेवाली अंकसंदृष्टि करनेका क्रम
१७५ १२१ दूसरीसे सातवीं पृथिवी तकके १०९ प्रकारान्तरसे प्रथम . पृथिवीके
मिथ्यादृष्टि नारकियोंका द्रव्य, . अवहारकाल लानेकी विधियां
काल और क्षेत्रकी अपेक्षा प्रमाण १९८ ११० छठी और सातवीं पृथिवियोंका १२२ जगच्छेणीके कितने कितने वर्गसंयुक्त अवहारकाल
मूलोंके परस्पर गुणा करनेसे १११ पांचवीं, छठी और सातवीं पृथि
किस किस पृथिवीके नारक. वियोंका संयुक्त अवहारकाल
मिथ्यादृष्टियोंका प्रमाण आता ११२ चौथी, पांचवीं, छठी और सा
है, इसका स्पष्टीकरण और उसमें तवीं पृथिवियोंका संयुक्त अव
प्रमाण
२०० हारकाल.
१८२१२३ तृतीयादि पृथिवियोंके द्रव्यके ११३ तीसरीसे सातवीं तक पांच पृथि
आश्रयसे दूसरी पृथिवीके द्रव्यः वियोंका संयुक्त अवहारकाल
उत्पन्न करनेकी विधि
२०१ ११४ दूसरीसे सातवीं तक छह पृथि. १२४ प्रथम पृथिवीके आश्रयसे दूसरी वियोंका संयुक्त अवहारकाल
पृथिवीके द्रव्य उत्पन्न करनेकी ११५ दूसरी आदि छह पृथिवियोंके
विधि और इसी प्रकार शेष पृथिसंयुक्त ., अवहारकालसे प्रथम
वियोंके द्रव्य उत्पन्न करनेकी . पृथिवीके अवहारकालके लानेकी..
सूचना
२०३ विधि
१८६ १२५ दूसरीसे सातवीं पृथिवीतक गुण. ११६ हानिरूप और प्रक्षेपरूप अंकोंका
स्थान प्रतिपन्न जीवोंका प्रमाण २०६ शान करानेके लिये अंकसंदृष्टि,
२६ दूसरीसे सातवीं प्रथिवी तक तथा प्रक्षेपरूप राशिकी विधि
गुणस्थान प्रतिपन्न जीवोंका ११७ राशिके हानिरूप विधानका अंक
प्रमाण ओघप्ररूपणाके समान संदृष्टि द्वारा स्पष्टीकरण
कहनेसे उत्पन्न होनेवाले दोषका ११८ सामान्य अवहारकालके पकविर
परिहार और सातों पृथिवियोंके लनके प्रति प्राप्त सामान्य द्रव्यके
गुणस्थान प्रतिपन्न जीवोंके अवसातबी पृथिवीके मिथ्यादृष्टि
हारकालोंका प्रतिपादन
२०६ द्रव्यप्रमाण खंड करके उनका |१२७ नरकगति-सबन्धी भागाभाग सातों पृथिवियोंमें विभाजन और १२८ नरकगति-सम्बन्धी अल्पबहुत्व
२०८ इनपरसे प्रथम पृथिवीके अवहार
(तिर्यंचगति) कालकी उत्पत्ति
१९३ १२९ मिथ्यादृष्टिसे लेकर संयतासंयत ११९ खंड शलाकाओंका आश्रय करके
गुणस्थानतक सामान्य तिर्यंचोंका प्रकारान्तरसे प्रथम पृथिवीके
प्रमाण, तथा सामान्य तिर्यंचोंका मिथ्यादृष्टि अवहार कालकी
प्रमाण ओघप्रमाणके समान उत्पत्तिः
माननेपर आनेवाले दोषका १२० नरकगतिके सामान्य और विशेष
परिहार रुपसे अचहारकाल, विष्का- |१३० सामान्य तिर्यंच मिथ्यादृष्टियों की सूची और प्रक्षेप अवहारकाल
ध्रुवराशि मौर गुणस्थान प्रतिपन्न
२०७
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