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१० अतिशय का दूसरा अतिशय उत्पन्न करने में दोष ११ दूसरा अतिशय उत्पन्न करने में अनवस्था सं० १
क. अनवस्था सं० २
ख. अनवस्था सं० ३ १२ स्थायी भाव से अतिशय के अभिन्न होने पर आपत्ति १३ अक्षणिक पदार्थ का 'अक्रम' से अर्थक्रियाकारी नहीं होना
क. असामर्थ्य-साधक प्रसंग और उसका विपर्यय
ख. सामर्थ्य-साधक प्रसंग और तद्विपर्यय १४ निष्कर्ष-क्षणिकवाद की स्थापना १५ सामान्य का खण्डन १६ दुःख और स्वलक्षण की भावनायें १७ शून्य की भावना-माध्यमिक-सम्प्रदाय १८ योगाचार-मत-विज्ञानवाद १६ बाह्य पदार्थ का खण्डन २० बुद्धि का स्वयं प्रकाशित होना २१ सौत्रान्तिक-मत-बाह्यार्थानुमेयवाद २२ बाह्यार्थ की सत्ता-निष्कर्ष २३ बाह्यार्थ प्रत्यक्ष नहीं, अनुमेय है २४ आलय-विज्ञान और प्रवृत्ति-विज्ञान २५ विज्ञानवादियों के मत पर दोषारोपण २६ ज्ञान के चार कारण २७ चित्त और उसके विकार-पांच स्कन्ध २८ चार आर्य सत्य-दुःख, समुदाय, निरोध, मार्ग
क. हेतूपनिबन्धन समुदाय का स्वरूप २६ सौत्रान्तिक-मत का उपसंहार ३० वैभाषिक-मत-बाह्यार्थप्रत्यक्षत्वाद, ३१ निर्विकल्पक प्रत्यक्ष ही एकमात्र प्रमाण है ३२ तत्त्व की अभिन्नता-मार्गों में भेद ३३ द्वादश आयतनों की पूजा
३४ बौद्ध मत का संग्रह (३) आर्हत-दर्शन ( जैन-दर्शन)
१ क्षणिक-भावना का खण्डन २ क्षणिक-पक्ष में बौद्धों की युक्ति