Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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अध्यात्म एवं योग शास्त्र
२४६. अष्टपाहुछ-कुन्दकुन्दाचार्य । पत्र संख्या- मे ५७ । साइज-१०:४५ च । भाषा-भारत । त्रिश्रय-अध्यात्म | रचना काल-X । लेखन काल-- | अपूर्ण । वेष्टन नं०६३ ।
विशेष-प्रभ की प्रतियां और है लेकिन वे दोनों ही अपूर्ण है।
२५:, अष्टपाहुड भाषा-जयचन्द्र छाबड़ा । पत्र संख्या ८१ मे १२३ । साइज-११४० इंच 1 माषःहिन्दौ । विषय-अध्यात्म ! रचना काल-सं. १८६५ । लेखन काल-X18 । वेष्टन नं. ८१० ।
विशेष-अप की एक प्रति और है लेकिन वह भी यपूर्ण है।
५१. अात्मसंबोधन काव्य-रइथू । पत्र संख्या-२८ । साइन-१४४ इभ । भाषा-धपाश । विषय-प्र. ना कार. -- लेसना स-- . . ५१६i kण बुदी : । पूर्व । वेष्टन नं० २४ ।
विशेष - अलवर नगर में प्रतिलिपि हुई थी।
२५२. श्रात्मानुशासन--आचार्य गुणभद्र । पत्र संख्या १ । साइजः-१०४४३ । माषा-वत । विषय-अध्यात्म । रचन। काल-x। लेखन काल-सं. १७७० भादत्रा सुदी १२ । पूयें । वेष्टन नं. ३४ ।
विशेष-साह ईसर अजमेरा ने धन्दी नगर में प्रतिलिपि की थी । प्रभ की २ प्रतियां और हैं।
२५३. आत्मानुशासन टीका-टीकाकार पं० प्रभाचन्द्र 1 पत्र संख्या-७१ । साइज-१.४४३६ ! भाषा-संस्कृत | विषय-अध्यात्म | रचनाकाल-X ! लेखन काल-२० १५८१ चैत्र बुदी ६ । पूर्ण । बेष्टन नं० २३ ।
__विशेष - पत्र ३८ तक फिर से प्रतिलिपि की हुई है, नवीन पत्र हैं । प्रशस्ति निम्न प्रकार हैं:
सं० १५८१ वर्षे चैत्र बुदी ६ गुरूवासरे घटपानीनाम नगरे राउ यो रामचन्द्रराज्यप्रर्वतमाने श्री मूलसंघे नद्याम्नाचे वलात्कारगणे मरस्वती गच्छे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री पन नंदि देवा तत्पर्ट भट्टारक श्री शुभचन्द्र देवा तत्प?' भ. श्री मिनचन्द्र देवा तत्पर्ट भ० भी प्रभाचन्द्र देवा तदानाये खंडेलवाला-बये साह गोत्रे चतुर्विधदान वितरण कल्पवृक्ष साह काधिल तरभार्या कावलदे तयोः पुत्राः प्रयः प्रथम साह गूजर, द्वितीय सा. राधै जिनचरग्य कमलचंचरीकान् दान पुजा समुद्यतान् परोपकारनिरतान् प्रस्वरुप चिन्वान् सम्यक्त्व प्रतिपालकार श्री सर्वझोक्त धर्मरे जितन्तसान कुटुम्ब साधारकान रत्नत्रयालंकृत दिव्य देहान् महाराभयशास्त्रदानसमुन्नितान् त्रयो साह बच्छराज तमार्या पतिव्रता पद्मा तस्याः पुत्र परम श्रावक साह पचाणु तद्भार्या प्रतापदे तत्पुत्र माह दूलह एतेषां मध्ये सा. बच्छराज इद शास्त्रं लिखायितं सत्पाषाय मुनि श्री माघनन्दिने दरा कर्मक्षयार्थ । गौरवंश से३ श्री खे तस्य पुत्र पदारथ लिखितं ।
२५४. प्रात्मानुशासन भाषा-पं० टोडरमल । पत्र संख्या-५६ । साइज १०४ च । माषाहिन्दी गय | विषय-अध्यात्म | रचना काल-x | लेखन काल-X । अपूर्ण । वेष्टन नं. ७१॥
विशेष-प्रति स्वर्ग १० टोडरमल जी के हाथ की लिखी हुई है। इस प्रति के अतिरिक्त मतियां और है।