Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur

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Page 390
________________ - - 4 m १ पंथकार का नाम नथ नाम पंथ सूची की । प्रकार का नाम प्रथ नाम मथ-सूची की पत्र सं. पत्र सं० বাৰৰপলবিল २१३ | पं० सूर्य कवि- रामकृष्णकाव्य २१० पुरासंग्रह ६४ | सोमचन्द्र गरिण- वृत्तरलाका टीका २३ः मूलाचार प्रदीप सोमकीसि- प्रद्युम्न चरित्र यशोधर चरित्र यशीघर परिव १५, २१५ रातिनाथपुराणा ६६, २२४ सप्तव्यसन कथा ६, २२६ सदभाषितावली , #t; २३७ | सोमदेव-- रशस्तिलक चम्पू सिद्धान्तसारदीपक २२, १८२ सोमप्रभाचार्य- सूक्तिमुक्तावली १०, २३॥ सुसमालचरित्र सोमसेल- পিনীৰৰ १८४ सुदर्शनचरित्र दक्षिणयोगीन्द्र पूजा सकलभूषण- उपदेशरन माल! २३, 15 भक्तामरस्तोत्र पूजा (षर कमविदेशरा माला बर्दू मान पुराण मदानंद- सिद्धान्तचन्द्रिका वृत्ति २३५ | हरिचंद- धर्मरामाभ्युदय श्रा०समन्तभद्र- देवागमस्तोत्र . २५० | हरिभद्र सूरि- पट दर्शन समुश्चय स्नकापडभावकाचार | श्री वल्लभवाचक हेमचन्द्राचार्यसमन्तभद्रस्तुति दुर्गपदप्रबोध समाधिशतक हर्षकीति- सारस्वत घातु पाठ २३. स्वयंभूस्तीष १.१२,१३७ सूक्तिमुकायसी टीका सहस्रकीसि-- त्रिलोक्सार सरीक हेमचन्द्राचार्य- प्राकृतघ्याकरण सिद्धसेन दिवाकर- कल्याणमंदिसतोत्र हेमच्याकरण सन्मसितर्फ अभिभानचितामणिनाममाला २५ शक्रस्तवन अनेकार्थसंग्रह सुधाकलश-- एकाक्षरनाममा सुधासागर-- पंचकल्याणक पूजा प्राकृत-भाषा सुबन्धुबासवदत्ता २१८ | अभयदेव- पार्श्वनाथ स्तवन २६४, ३० सुमतिकीति-- जिन चिनहीं स्वामी कात्तिकेय-- कार्तिकेयानुप्रैन। कर्मप्रकृति तृति प्राचार्य कुन्दकुन्द- प्रष्ट पाहुड गोमसार कर्मकांडटीः द्वादशाक्षा सुमतिसागर- दशलक्षण पूजा पंचास्तिकाय १६, १. सुरेश्वरकीति-- মানিন্ম ধু। प्रबचनसार . AM . m र 2 G 4 1 - n

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