Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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१७
१५६, १६६
मंथकार का नाम प्रथ नाम ग्रंथ सूची की। प्रथकार का नाम ग्रंथ नाम ग्रंथ सची की पत्र सं. ।
पत्र सं० स्ययासार
विशेषसत्तात्रिमंगा षट्पाहुड ४३, ११०, १३२, १६४
सत्ताश्मिंगी समयसार १३३, १६.४,२८७ | पहातन्दि
धर्मग्मायन
२६, १८ गौतम स्वामी- संबोधपंचासिका १२३, १८६
पत्ननन्दिपंचविंशति ३०, २१६ देवसेन- थाराधनासार ४०, ११०, ११७, भावदेवाचार्य- कालिकाचार्य कथानक २२६
११८, १६१, ३१२ ! भाव शर्मा- दशलक्षण जयमाल तत्वसार
विनयराज गणि-- रत संचय दर्शनसार
यति वृषभ- त्रिलोक प्रज्ञप्ति भावसंग्रह हेमचंद्र सूरि- पुष्पमाल
१. संबीघ्रपंचासिका धर्मदास गणि--- उपदेशसिद्धतिरनमाला २३
अपभ्रंश भाषा मंडारी नेमिचन्द्र- उपदेशसिद्धांतरत्नमाला
२३ अमरकीर्ति-- षट्कर्मोपदेशरत्नमाला ८,२८ पष्टिशतप्रकरण
गोयमा
कोष ( मोध ) वर्णन नेमिचन्द्राचार्य- ाश्रवमिंग
| जयमित्र हल-..
कई मान काय उदय उदीरा त्रिभंगी
यिक चरित्र कर्मप्रकृति ३, १३५, १७६ | धनपाल
बाहुबलि चरित्र वपणासार
भविंसगत्तपंचमीकहा ७३, १६ गोमट्टसार
। मविध्यदला पंचमी कथा) गोमहसार ( कर्म काण्ड गाथा ) ११२ | धवल
हरिवंशपुराण चौबीस ठाणा चर्चा , १७४ | नयनानंद-- मुगंधदशमीव्रत कथा जीव समास वर्णन १० नरसेन देव- बर्द्धमान कमा भिमनीसार .., १६ !
सिद्धचक्र कथा त्रिभंगीसारसंष्टि १२० | भंडारी नेमिचन्द्र-- नमीश्वर जयमाल त्रिलोकसार १२, २३४ | पुष्पदन
यादिपुरामा द्रव्यसंग्रह १६, १०, ११२, १२२
उत्तरपुराण
मागकुमारचरित्र নিম
मनसुख
कल्याणक वर्णन मात्रत्रिभंगी १६ | यश कीर्ति
हरिवंशपुराण २० | पं योगदेव- पनि बतानुप्रेक्षा
लब्धिसार