Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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( ३७१) मंथकार का नाम प्रथ नाम प्रध सूची की , मथकार का नाम प्रथ नाम प्रथ सची की पत्र सं.
पत्र सं. मोहविवेक युद्ध , १२, १६५ | बिहारीदास- जखड़ी वैध लक्षण २८१
संबोध पंचासिका शिव पच्चीसौ २८१, २६६
| बूचूराम
गीत समयसार नारक ४४, ११५, ११,
मदनार १२०, १९५, ३०७ | उपाध्याय भगतिलाभ--- सया
सीमंधरस्वामी स्तवन १४. साधु वंदना ११६, १६१, ३०४ / भैया भगवतीदास- एषणा दोष
१८१
घेतन कर्म चरित्र ६८, १३३ सिन्दूर प्रकरण ५, ११४, ११५,
जिनधर्मपचीसी ११, १३३. २३६
निर्वाचकाए भाषा १.३,१२०, ३५१ बालचन्द्रपद संग्रह १२३
परमात्म छत्तीसी हितोपदेश पच्चीसों
पुस्य जगमूल पच्चीसी कवि बालक(रामचन्द्र) सीता चरित्र७६, ११४, २.२१, २६६
मविलास
३२ बालवृन्दजानकी जन्मलीला
भारह भावना घुधजन--- हद अत्तीसी
मूदायका वर्णन हदाला
वैराग्य पच्चीसी ४३, १३६, १२ सम्वार्ष बोध
सम्यक्त्व पश्चीती ३६, १७२ पंचास्तिकायमाका
साघुत्रो के आहार के अमम १२. पर संग्रह
के ४६ दोषों का वर्णन भूधान बिलास १७३. ३१२
सोलह स्वप्न (स्वप्न बसीसी पुधजन सतसई
" भगवानदास- भगवानदास के पद २४१ मायु महोत्सव E | भाऊकवि-- ग्रादित्यवार कथा ८१, ११३, 110 बोगसार भाषा
१३, १४३, १५४, 16, ११ बुलाकीदास- प्रश्नोतरोपासकाचार
१६, २१२, १८, ३.६ पाएखवपुराण
६४ भागधन्द्र- उपदेश सिद्धांत रत्नमाल! २४, १८३ बैशीधर
अभ्यसंग्रह भाषा बंशीधररस्तूर मालिका
भैरवदास- शीस गीत ब्रह्मदेय-- द्रव्यसमह वृशि १७,१८० भारामल्ल- दर्शनकया परमरममकाश टीका
रानमा
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