Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur

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Page 410
________________ i (३९१) पत्र एवं पंकि अशुद्ध पाठ शुद्ध पाठ ललचचंद लालचन्द अमरमणिक अमरमणिक के शिष्य साधुकोति ३६३४२७ १४८४२ १४८४२४,२६ माणिक सूरि मो. पुण्यसागर ३५-४२k १४६x२१ १४६४३ १५०x११ १५०४१८ १५०४२० १५१४६ १५४४१० गुजराती मोहो जसुमालीया कापथ हिन्दी (राजस्थानी) मोरडो जसु मालिया कायथ परवार नारी चरित्र संबंधी एक कथा पखार नारी चरित्र जैन जे न बुधजन द्यानतराय देहली की राजपट्टारली देहखी के राजाओं के अध्यात्म बत्तीसी राज पट्टावली राजाओं के ज्ञानबत्तीसी १५६x१० १६३४१५ । ३७०४२१ । ५७०४ १६६४% १७८४२६ १०x१६ १८०४८ ३५ वें पद्य के आगे की पति निम्न प्रकार है तस शिष्य मुनि नारायण जंपइ धरी मनि उल्हास ए॥१३शा पत्र संख्या-1 पत्र संख्या-१६। रचनाकाल रचनाकाल संभ १४२६ । करण कशाव देवपट्टोदयाद्रितरुण तरुणित्व लोधा ही लोधाही विमलहर्षवाचक भाव १८४ १८७४१५ १८७४१६ १८६ १६०x२१ १८२५ श्रीरत्नहर्ष भव वैराग्य शतक श्री रत्नहर्ष के शिष्य श्रीसार वैराग्यशतक

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