Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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पत्र एवं पंक्ति
४६८१४
४६X
३४६४१२
४७१०
४०x१३
४८१०
६०x२३
६१x
६५x२०
६६x८
६६८ ७
७०X१८
७३X२५
७५४ २
७५X ४ ३३६४२३ ३५२५३०
७६४२२
१६
७८०६
२७६ X ३
JεX X
८१x१६
८०X१
८४९१८
८४x२१
४८२४
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अशुद्ध पाठ
१३
आ. समन्तभद्र
यति
३१
सं० १६२७ श्रावण सुदी २
प्राकृत
रामचन्द
अधुसारि
बसतपाल
प्रद्युम्नचरि
भविसपत्त
संस्कृत
परिहानन्द
परिहानन्द
सं० १६१८
(305)
आराधना
ओणिक चरित्र
श्रीजिनहरिं । सुशिष्या पाठकवरा ।
शुद्ध पाठ
१८६३
नन्द
परि हां नन्द
सं० १६७८ दौलतरामजी कृत आराधना
श्रोणिक चरित्र ( वद्धमान काव्य )
"बालक"
कवि बालक
कवि रामचन्द्र गौतमपृच्छा वृत्ति
गौतम प्रच्छा
तिमपाठ - " पाटक पत्र संयुक्त" के पूर्व निम्न श्लोक और पढ़ें:
० मालदेव
अनुरूप कोठ
अग मील तो
भारामल्ला
पूज्यपाद
अभिनव
३१२
सं०] १८६३ अषाढ सुदी ४ बुधवार
भाषा - संस्कृत:
अपभ्रंश
रायचन्द्र
अनुसारि
वसंतपाल
प्रद्युम्नचरित -सत्रा
भविसयत्त
अपत्र श
श्रीमत्सुमतिहंसाशन लग्यो मतिवद्ध ते ।। १ ।।
मालदेव
उरुष को उ
अगमी मीलतो
भारामस्त
-·
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