Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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२५७ १६५
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दाहा
वद
६
मंथकार का नाम नथ नाम प्रथ सूची की | ग्रंथकार का नाम नथ नाम मथ सूची की पत्र सं०
पत्र सं० पंचममल
१३१ | विनोदीलाल- नेमीश्वर राजमति गीत कुल पचीसी १३,१२२, २४६
नीश्वर राजुल संवाद १५१, १६६, २२७
प्रभात जयमाल समवशरण पूजा ११४
भक्तामरस्तोत्रस्था भाषा लालदास-- महाभारत कथा १३६, २६.
मान पचीसी मुनि लावन स्वामी-शालिभद्र सम्झाय १४
राजन पचीसी साह लोहट- अठारह नाता का चौटाला ११३,१३२ मुनि विमलकीति- नंद बत्तीसी
१६१, १६६, ३०६ 'विमलहर्ष वाचक- जिनपालितमुनि स्वाध्याय १४
चौबीस ठाणा चौपई १६६ बिहारी- विहारी सतसई प्रझबद्धन-- गुस्थान गीत ११६, १६४ । कवि वीर--- मणिहार गीत वृन्द
१३६ वोल्हव- नेमोश्वर गीत
१३२ श्यामदास ( गोधा) पद वृन्द सतसई
नेमिनाथ का बारहमासा वृन्दावन
चतुविशति जिनाजा ५१, १६ | पं० शिरोमणिदास-धर्मसार चौ गई छन्द शतक
शिव कवि
किशोर कल्पद्म तीस चौबीसी पूजा
शुभचन्द्र
चतुर्विशति स्तुति प्रबचनसार माषा
तत्वसार दोहा
२७८ भ० विजयकत्ति- चन्दनषष्टिवतकथा ६१ , शोभचन्द- शान खड़ी
पार्श्वनाथस्तवन अंणिकचरित्र
७६ | श्रीपाल- जिनस्तुति विजयतिलक- श्रादिनाथ स्तवन १४. श्रुतसागर-- बमाल वर्णन
१४३ विजयदेव सूरि--- शीलास
११३, २६१ | सदासुख कासलीवालविजयभद्र- समाय
अकलंकाष्टक भाषा ३४, १८७ विद्याभूषण- लक्षण चौ सी पद
अर्थप्रकाशिका विनय तमुद्र- विक्रम प्रबंध सस
तत्वार्थपूत्र भाषा विनयप्रभगोतम रासा ३०१
भगवतीचाराधना भाषा ३३, १८७ विश्वभूषण- पद
१३१
स्लकाण्ड श्रात्रकाचार माषा ३४,१५४ पंचमेक पूजा १५२
लघु भाषा वृश्चि वाचक विनय सूरि- बाराधनारतवन
पोरशकारम्भावना तथा ... १८८
१२॥
४२.
१२६
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