Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 403
________________ २२६ २५७ १६५ 2 n दाहा वद ६ मंथकार का नाम नथ नाम प्रथ सूची की | ग्रंथकार का नाम नथ नाम मथ सूची की पत्र सं० पत्र सं० पंचममल १३१ | विनोदीलाल- नेमीश्वर राजमति गीत कुल पचीसी १३,१२२, २४६ नीश्वर राजुल संवाद १५१, १६६, २२७ प्रभात जयमाल समवशरण पूजा ११४ भक्तामरस्तोत्रस्था भाषा लालदास-- महाभारत कथा १३६, २६. मान पचीसी मुनि लावन स्वामी-शालिभद्र सम्झाय १४ राजन पचीसी साह लोहट- अठारह नाता का चौटाला ११३,१३२ मुनि विमलकीति- नंद बत्तीसी १६१, १६६, ३०६ 'विमलहर्ष वाचक- जिनपालितमुनि स्वाध्याय १४ चौबीस ठाणा चौपई १६६ बिहारी- विहारी सतसई प्रझबद्धन-- गुस्थान गीत ११६, १६४ । कवि वीर--- मणिहार गीत वृन्द १३६ वोल्हव- नेमोश्वर गीत १३२ श्यामदास ( गोधा) पद वृन्द सतसई नेमिनाथ का बारहमासा वृन्दावन चतुविशति जिनाजा ५१, १६ | पं० शिरोमणिदास-धर्मसार चौ गई छन्द शतक शिव कवि किशोर कल्पद्म तीस चौबीसी पूजा शुभचन्द्र चतुर्विशति स्तुति प्रबचनसार माषा तत्वसार दोहा २७८ भ० विजयकत्ति- चन्दनषष्टिवतकथा ६१ , शोभचन्द- शान खड़ी पार्श्वनाथस्तवन अंणिकचरित्र ७६ | श्रीपाल- जिनस्तुति विजयतिलक- श्रादिनाथ स्तवन १४. श्रुतसागर-- बमाल वर्णन १४३ विजयदेव सूरि--- शीलास ११३, २६१ | सदासुख कासलीवालविजयभद्र- समाय अकलंकाष्टक भाषा ३४, १८७ विद्याभूषण- लक्षण चौ सी पद अर्थप्रकाशिका विनय तमुद्र- विक्रम प्रबंध सस तत्वार्थपूत्र भाषा विनयप्रभगोतम रासा ३०१ भगवतीचाराधना भाषा ३३, १८७ विश्वभूषण- पद १३१ स्लकाण्ड श्रात्रकाचार माषा ३४,१५४ पंचमेक पूजा १५२ लघु भाषा वृश्चि वाचक विनय सूरि- बाराधनारतवन पोरशकारम्भावना तथा ... १८८ १२॥ ४२. १२६ " २६४

Loading...

Page Navigation
1 ... 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413