Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[पत्र आवार शास्त्र
विशेष-सं० १६४१ में बादशा अकबर के शासनकाल में खानक हुदा के पुत्र फक्त में मंथ रचना कराई थी।
८५.
घटकर्मोपदेशमाला - अमरकीर्त्ति पत्र संख्या - १२० | साइज - ११८६ ६ । भाषा - अपभ्रंश । वेश्य-प्राचार शास्त्र । रचना काल सं० १२४७ मावा मुदी : १० | लेखन काल- १६४५ सोजी वेष्टन नं०६६ ।
पूर्णं ।
विशेष – १४ संधियां है। लेखक का परिचय दिया हुआ है।
६. षटकर्मोपदेशमाला - भट्टारक श्री सकलभूषण पत्र संख्या १५० भाषा-संस्कृत 1 विषय- श्राचार शाख । रचना काल-सं० १६२७ सावन ६ । लेखन कालबैं० २०३ ।
विशेष :-- संवत् १४४४ वर्षे जेष्ठमा से शुरूप नवाम्या तिथी रविवासरे स्तन सिघियोगे भी स्थपत्र दुर्गे राजाधिराजराजाश्रीजगन्नाथराज्ये प्रवर्तमाने श्री मल्लिनाथचैत्यालय श्री काष्ठाचे माथुरगच्छे मुकर गये मट्टारक श्री दोमकीर्तिदिवा ताप मट्टारक कमल कीर्तिदेवा तापट्टी मट्टारक श्री जयसेमिदेवाः । तदान्नाये श्रमवालान्वये गोपलगोत्रे देव्याना बडि साहजी पदार तस्य नावां मार्गी साह श्री भवानीदास तस्य भार्या गोमा तस्य पुत्र साह खेमचन्द तथ्य मार्ग बाजी तस्य पुर द्रयः । प्रथम पुत्र मोहनदास तस्य मार्या कौजी । द्वितीय पुत्र चिरंजीव धूडो । द्वितीय पुत्र साहयान तृतीय पुत्र साइ बीरदास । चतुर्थ पुत्र साह श्री रामदास तस्य भार्या माग्पोती स्यू पुत्र श्रयः । प्रथम पुत्र साह मेधा द्वितीय पुत्र चिरंजीव साइ चोखा तस्य भार्यां पार्वती तस्य पुत्र चिरंजीव देवसी तृतीय पुत्र साह नेतसी 1 पंचम पुत्र रमोला । तेषां मध्ये चतुर्विधिदानतिराकल्पवृक्ष साह चोखा तस्य भार्या पार्वती इदं शास्त्र शिखाप्य ज्ञानावर्णोकर्मभिर्मित्तं रचय पुन्यनिमित्तं मानपात्राय अ श्री रूपाचन्दये दर्द ॥ इति ॥
साइज - १०६८५ इन्च | १६४४ । पूर्ण । नेष्टन
1
८. पोडशकारणभावना - पत्र संख्या - १६ | साइज - १३४५३ च भाषा - हिन्दी पय त्रिवध-धर्म । रचना काल X। लेखन काल -x | पूर्णं । वेष्टन नं० १४२ ।
मम
कारण भावना व दशलक्षण धर्म - पं० सदासुख का सीवान पत्र संख्या ११३ | साइज - ११५७२ ह । भाषा-हिन्दी विषय-धर्म । रचना काल-X: लेखन काल - X। पूर्ण । मेष्टन नं० १३६ ।
यह शिम्बरविशास - मनसुखराम पत्र संख्या ६३ साइज - ११४५ । भाषा हिन्दी १५ । विषय-धर्म । रचना काल सं० १८४५ सोज १० लेखन काल-सं० १६ आबाद सुदी १५ पूर्ण वेष्टन नं० ४५ ।
विशेष – शिखर महात्म्य में से वर्णन हैं । मनसा के शिष्य थे ।
साइन- ११६४६
श्रৰकाचार्-'-------------६० आधार शास्त्र । रचना काल -x । लेखन काल-सं० १७३१ वैशाख सुदी
भाषा हिन्दी | विषय
पूर्ण नेशन नं.० १६.३ ॥ .