Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[ स्फुट रचनायें इति श्रीमन्महाराजाधिराज श्री माधवेश प्रसता व्यवस्थापक गोविंददासात्मज कवि छविनाथ विरचिता शृंगारपच्चीसी सोमते || विजेय नाम संवत्सरे दक्षिणाय हेमंत ऋतौ पौषमासे शुक्लपक्षे द्वितीयां शुक्रवासरे लिखित मिंद पुस्तकं ।
. महाराजा माधवसिंह के प्रसन्न करने को गोविंददास के पुत्र अविनास ने रचना की थी.
४७६. हृदयालोकलोचन – पत्र संख्या - १६ । साइज - १०४ इ । भाषा-संस्कृत || ' विषय- अलंकार । रचना काल । लेखन काल -x | पूर्ण । बेष्टन नं० ४७८ |
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स्फुट - रचनायें
४०. अकलनामा - पत्र संख्या ३ । लाइज - ११४५३ इम । भाषा - हिन्दी संस्कृत | विषय - स्फुट | रतना काल -X | लेखन काल--X। चपूर्ण । वेष्टन नं० ४४२ ।
४७८. अक्षरबत्तीसी - मुनि महिसिंह | पत्र संख्या - २ | साइज-३४४९ द | भाषा - हिन्दी पथ विषय - स्फुट । रचना काल -सं० १७२५ | लेखन काल -X | पूर्ण । बेधन नं० १६६ |
विशेष अन्तिम पथ
सतरइसई पच्चीस संवत् कीयो बखाण ।
उदयपुर उधम कीयो मुनि महसंहि जागा |
४७६. ज्ञानाच तत्वप्रकरण टीका - पत्र संख्या - १० | साइज - १६३४६ इव । भाषा - हिन्दी | विषय-योग | रचनाकारा -X | लेखन काल -X | अपूर्ण । मेष्टन नं ० ३१२ /
४०. गोरसविधि - पत्र संख्या -४ | साहब - ९३x४३ इम । माषा-संस्कृत | विषय - विधान । रचना काल-X। लेखन काल - पूर्ण वेष्टन नं० ७१ ।
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४८ १. गोत्रवर्णन - पत्र संख्या - १० | साइज - EX६ १ माथा-हिन्दी पद्य विषय - इतिहास 1 रचना काल -x | लेखन काल - X पूर्ण वेष्टन नं० १८४ |