Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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गुट के एवं संग्रह प्रन्थ ]
. [२७५ विशेष-श्राचार्य कुन्दकुन्द कृत ( दर्शन, चारित्र, सूत्र, पोथ, भाव और मोक्ष ) षट पाहुड का वर्णन है।
५४४. गुटका नं०४३ - पत्र संख्या-४८ । साइन-Exk इन्न । भाषा-हिन्दी । लेखन काल-X । अपूर्ण एवं जीर्ण ।
भाषा
विशेष
विशेष-देहली के मादशाहों की बंशावति दी हुई है अन्य निम्न पाठ भी हैंविषय-सूनी
का का नाम कृष्ण का बारह भासा
धर्मदास
हिन्दी विरहनी के गीत प्रायुर्वेद के नुस्खे
दादूदयाल
। । । ।
५४५. गुटका नं: ४४–पत्र संख्या-६८ 1 साज--१४६ ५श्व | भाषा-संस्कृत | लेखन काल-- !
विशेष - मंत्र शास्त्र से सम्बन्धित पाठ है। ५४६. गुटका २०४५-पत्र संख्या-६० साइज-.४४ इश्व । भाषा-हिन्दी संस्कृत । लेखन काल-XI
विशेष पार्श्वनाथ स्तोत्र-संस्कृत, क्षेत्रपाल पूजा शनिश्नर स्तोत्र-हिन्दी श्रादि पाठ हैं । ५४७. गुटका न. ४६-~~-पत्र संख्या-१२ । साइज-१४४३ ५५ । भाषा-हिन्दी । लेखन काल-x।
विशेष-चामदास के पद है 1 कूल १५ पद हैं। ५४८, गुटका नं. ४७-पत्र संख्या- १६ | साइज--x-३ इन । भाषा-संस्कृत ! लेखन काल-x1
विशेष-भुवनेश्वर स्तोत्र सोमकीर्ति कत है।
५४६. गुटका नं०४८-पत्र संख्या-३४ | साइज-६x४ची भाषा-संस्कृत हिन्दी। लेखन कालसं. १८६: अपार खुदी है । पूर्ण।
त्रिशेष-ऋषि मंडल स्तोत्र तथा अन्य पाठ है ।
५५०. गुटका नं. ४-पत्र संख्या-२४ से ६०, १७२ से २१२ । साहज-५४३ संस्कृत । लेखन काल-x। अपूर्ण ।
अ | भाषा
विशेष-पंचरतोष, पद्मावतीस्तोत्र, तस्त्रार्थसूत्र, पंचपरमेठीस्तोत्र एवं वज्रपंजररतोत्र (अपूर्ण) प्रादि हैं।