Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur

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Page 377
________________ प्रन्थ नाम लेखक भाषा पत्र संः अन्ध नाम लेखक भाषा पत्र सं० सुदर्शनरास : ब्रह्म रायमल्ल (हि.१ १११,११३) सोलही जिनधर्म पूजा की (हि.) १६५ सोलह सतीस्तवन (हि.) १४. सुदृष्टि तरंगिण। टेकचंद (हि.) १६. | सोखहस्वप्न भगवतीदास हि०) १५५ मुदामा चरित्र (हि. १३६ (वण पत्तासी) मुषय दाहा (पा) १११ सोसट बंध कबीरदास (हि.) २६. सपाहुरिषिसंधि माणिक सूरि (हि. १४८ सौख्यकारख्य अक्षयराम (सं.) सद्धि प्रकाश थानसिंह (हि.प. १५ व्रतोद्यापन विधि ६३, २०५ सुभाषित हि.प.) | स्तंभनपार्श्वनाथगीत महिमा सागर (हि.) २७३ सुभाषितस्लानि भ० सकल कीर्ति सिंग ) E, ३३७ | स्तवन - (हि.) २१. सुभाषितरत्नसन्दान अमितान सं० २३६ स्तवन (हि.) २५० सुभाषितसंग्रह स्तवन जिनकुशल मूरि (हि. ३०० सुभाषिता -- सं स्तुति (हि.) ११३ मुमाषितार्णव शुभचंद्र यानतराय सुभाषितावलि भाषा + हि ) सतिसंग्रह चंद कवि (हि.) २४४ सुभद्रासतीस भार स्तोत्रका श्राशाधर सं०) ४४ सूतकवर्णन (सं.) १४६,१ स्तोत्रविधि जिनेश्वर मूरि हि.) २४३ सूतफभेद (हि.) १३१ स्तोवसंग्रह (सं.) १.१,१३६ सूक्ति मुक्तावलि सोमप्रभ सूरि सं० १००,२३४ १४६, २४४, २५६ सूति.संग्रह (सं० ) :| स्नपन पूजा (हि.) १३४ सूत्रपाइ मावा जयचंद छाबडा (हि.) १५५ स्नान विधि (प्रा. )२ सोलहकारगा हि २८६ स्फुट पर (हि.) १३३ सोलनकारण मान (अप.) २४ म्याद्वादमंजरी मल्लिषेण सोलहकारा जयमा (प्रा.) | स्वयंभूस्तोत्र समंतभद्राचार्य . ) ५:-, ११२ मालहकारगण पुजा - ११७, १३६ सोलह कारग पूजा टेकचंद । हि० ६२ | स्वर्ग नर्क और मोक्ष का वर्णन हि.) १६ सोलहकार पूजा यानतराय | स्वामी कार्तिकेयान स्वामी कार्तिकेय । प्रा.! ४ सोलहकारमा भावना हि.) १२ प्रेक्षा सोलह कारग भावना कनककीति हि.) १४२ | स्वामी कार्तिकेयानु जयचंद छावना . ! . . सोलहकाया विशेष पूजा --- . पा .३ प्रेना भाषा सोलहकाया पाचही - (मे १५ .

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