Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur

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Page 384
________________ अथ सूनीका क्रमांक १६५ क्रम संख्या ग्रंथ नाम २७. परमात्मप्रकाश २८. प्रबोधसार २६. प्रवचनसारभाषा ३०. प्रश्नोत्तरश्रावकाचार बाहुबलिदेवचरिण भक्तामरस्तोत्रवृत्ति भगवानदास के पन भविसयत्तचरिण अविसावरिः भावसंग्रह योगीन्द्रदेव २ यश कीर्नि हेमराज सकलकात्ति पं० धनपाल भ० रत्नचन्द्र सूरि भगवानदास पं. श्रीधर NE ३२. १२६ ३४. १३३ लखन काल सं० १४८६ सं. १५२५ सं० १७११ सं० १६३२ सं० १६०० से. १७२५ मं० १८७३ मं० १६४६ सं० १६०६ सं० १६२१ सं० १६०६ सं० १५१० सं० १६.७ मं० १८२३ सं०१५८१ सं. १६१५ सं० १५५१ सं०१५८४ मं० १५५० सं० १८५५ सं०१५२४ ३ ४२. २३६ श्रुतमुनि भोजचरित्र पाठक राजवल्लभ मृगीसंवाद मूलाचारप्रदीपिका भ० सकलकीर्ति यशोधरचरित्र वासरसेन लब्धिसार नेनिचन्द्राचार्य बढमाराका नरसेन बड्ढमाणकत्र २० जयमित्रहल परिणकप्रिया सुखदेव शब्दानुशासनवृत्ति हेमचन्द्राचार्य पट्कर्मोपदेशमाला अमरकीर्ति पट्कर्मोपदेशमाला भ. सकलभूषण पपंचासिका बालाबोध भट्टोत्रल ममयसार टीका अमृतचन्द्राचार्य ५१८ ५१६ ५. ७१६ ४७. ४८. ३६५ ५२३ ८६ २३ " मं० १६४४ मं० १६५० सं. १कन सं१८०० सं०१७०३ सं. १६०१ मं० १५१५ मं० १५८२ २६ ममयसारनाटक संयमप्रवहण सिद्धचक्रकथा हरिवंशपुराणम् ६४ बनारसीदास मुनि मेघराज नरसेनदेव महाकवि स्वयंभू ३६.

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