Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur

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Page 370
________________ जावणी ग्रन्थ नाम लेखक भाषा पत्र संक अन्य नाम लेखक भाषा पत्र संग लब्धिसार श्रा० नेमिचन्द्र (प्रा.) १ वृत्ताला कर भट्ट केदार (सं.) २३३ लारी संहिता राजमल्ल (सं० १७ व्रतोयोतनधान काचार अभ्रदेव (सं.) ३० (हि) २ | वृत्तरलाकरटीका सोमचन्द्र गरिण (सं० २३३ लिंगानुशासन हेमचन्द्राचार्य (सं.) २३० वृन्दविनोदसतसई वृन्द (हि.) ११ लीलस्वती वृहदमतिक्रमण नीलावती भाषा (हि. १७३ वृहदशांति विधान वृहदशान्ति स्तोत्र (प्रा.) (सं०) १०६ वुहदशान्तिस्तवन (सं०) ३१५ वहरागीगीत वृहददिकपूजा वच्छराज हंसराज चौपई जिमदेव सूरि (हि.) ३. व्यसनराजवर्णन टेकचद (हि.) १७३ वज्रदन्त चक्रवर्ती की भावना- (हि.) १३३ वसुधारा वजनामि चक्रवर्ती की मादना भूधरदास ( हिं . ) ११४,१५७ वाय गोला का मंत्र - हि.) ५४ बाईसपरीष वर्णन पंजरस्तोत्र - (सं.) २७५ | वाईस परीषर भूधरदास । हि०) ३११ वणिकप्रिया कवि सुखदेव (हि.) २२१ ! वासवदत्ता महाकवि सुबंधु । सं० २१८ पदमाण कब पं. जयमित्रहल (अप) ७५ | पंचक विचार (सं.) ३१२ ( वर्तमानकाव्य) | बिन मप्रबंधरास बिनय समुद्र हि०) २६५. वणिजारोरास रूपचंद (हि.) १६३ | विश्नहरस्तोत्र (प्रा.) १८.. वरांग चरित्र वर्द्धमान भट्टारक (सं.) ७०,२१८ | | विन्दारषत्रिंशिका धवलचंद के शिष्य (सं.) ४३ वर्धमानचरित्र सकलकीर्ति (सं.) ७०,२२३ गजसार बद्धमानचरित्रटिप्पण - (सं.) १७३ | विजयसैठ विजया सूरि हर्षकीति (हि.) २१. बर्द्धमानजिनद्वाविंशिका -- (सं.) ३१० । सेठाणी समझाय वर्द्धमानपुराणभाषा पं० केसरीसिंह (हि.) ६५ | विजुच्चर अणुपेहा - अप.) ११५ बह मानपुरायमाषा - (हि.) ६६ | विदग्ध मुखमंडन धर्मदास (सं.) ७०,२१४ बर्द्धमानपुराण सूचमिका विद्यमान नीसती कर पूजा - (हि.) . बद्ध मानस्तोत्र (सं०) २६६ | विद्यमान घीसतीर्थकरराजा जौहरीलाल (हि.) ६.. वद्ध'मानस्तुति (सं० ) ३१० | विधाविलास चौपई श्राज्ञासुदर (हि.) २६६ व्रतकथाकोष भाष! खुशालचंद (हि.) ८५,२२६ | विनती अजयराज (हि.) २४३,३१ प्रतकथाकोश श्रुतसागर (सं०) २२६ प्रतविधानरासो संग (हि.) २५% विनती कनककीति (हि.) १३१,१४६ .

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