Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur

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Page 373
________________ लेखक ग्रन्थ नाम भा। पत्र सं० ग्रन्थ नाम लेखक भापा पत्र स० श्रीपालस्तोत्र, (हि.) १४: षभरिपाट {सं. १४ श्री अजित शान्तिस्तान --- (पा.) १४० । घट्मालबर्ग में श्रुतसागर हि५) १४३ श्री जिनकुशलमूरिस्तुति उपाध्याय जयमागर (हि. ) १४० | | षष्टिशतं भण्डारी नेमिचन्द्र (सं.) ३५० श्री जिननमस्कार यशोनंदि (हि.) to घोडशकारण जयमान श्री जिनस्तुति ० तेजपाल पोशकारण जयमाल रइधू । प्र०) ६१ ६ तज्ञानवर्णन षोडशकारणजयमाल - । ।सं.) । श्रुतमानमताचापन । सं० २०५ षोडशकारगा पूजा भुतमाम पूजा (सं०) २०० षोडशकारण पूजा उद्यापन केशवसेन सं.) २०४,२०७ थ तोचापन ३०८, ६. श्रुतबोध कालिदास (सं.),२६३ | पोशारणताधापनपूजा त्र ज्ञानमागर सं.) ६० श्रुतस्कंधकथा न ज्ञानसागर हि० ) ३६, १८८ अशिकचरित्र गुणचन्द्र सार (ह) २६३ | षोडशकार व पं० सदासुख कासलीवाल (हि. १८ * शिकचरित्र जयमित्रहल (अप) ७६ भावना ओडिकचरित्र भ. विजयीति (हि.) ६. | षोडशकारणवत कथा खुशालचंद हि०) २६७ श्रेणिकचरित्र शुभचन्द्र | (सं.) २१६ षोडशकारण व्रत कथा त्र ज्ञानसागर (हि.। २६४ भोणिकचरित्र की कथ! - श्रृंगारपाचोसी छविनाथ (हि.) २५१ 'गारतिलक कालिदास (सं०) २५१ | सकलीकरण विधान (सं.)२७,२८७ सुगुरुतीख राज्जनचित्तवतम (सं०) ५६ षटकर्मोपदेशमाला अमरकीति (५० ) १८८,७८ साथ विजयभद्र । हि.) १७४ षट्कर्मोपदेशमाला भ० सकलकीर्ति (सं०) १८८ सज्झाय हि.) २६१ षट्कारिक पाट सत्तरिराय स्त्रोत्र पटनिशिका. महावीराचार्य (सं०) २४८ सतगुरु महिमा चरनदास (हि.) २८६ पदर्शन समुच्चय हरिभद्रसूरि सं०) १६६ सद्भाषितावली पन्नालाल हि ग० ) २.६६ षट्व्य (हि.) चर्चा १२४ २३७ पद्रम्पवर्यान (हि.)२२,१३८ सजाषितावनी (हि.) १५ षट्पाहुङ कुन्दकुन्दाचार्य (प्रा० ) ४३,११० १३२, १६४, २७५ संक्रांति तथा महाति चार परल - षट्पाहुटीका भूधरदास (हि.) १६४ | संगीत भेद (हि.) २६४ षट्पंचासिका बालाबोध भट्टोत्पल सं०) २४६ । संधपचीसी मनाहर प

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