Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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( ३३४) ग्रन्थ नाम लेखक भाषा पत्र सं० अन्ध नाम लेखक भाषा पत्र सर प्रवचनसार सरीक अमृतचंद्र सूरि (सं.) १६३ ! पार्श्वनाथस्तबन विजयकीर्ति (हि.) १४१ प्रश्नोत्तरीपासकाचार बुलाकीदास (हि.) १५,१८६ | पाश्वनाथस्तवन
(सं.) ३०६,३१० प्रश्नोत्तरश्रावकाचार सकलकीर्ति (सं० ) ३१, ३२, !
१८६ पार्श्वनाथनमस्कार अभयदेव
(प्रा.३०१,२६४ प्रश्नोत्तरमाला
पार्श्वदेशान्तर छन्द प्रशस्तिका
(सं.) २५६ पार्श्वनाथस्तुति
(हि.) १६५ प्रसंगसार रघुनाथ (हि.) २६२
पार्श्वनाथस्तुति भाव कुशल (हि.) १४॥ प्रस्ताविकदोहा जिनरंग सूरि (हि०) १४५
এলাখালী।
(सं.) १.४,२८७ पल्यविधान पूजा रजनंदि (सं० ) ५८, १७२
१४७,२४०,२१ पल्यविधान (दि.) १५७ पार्श्वनाथस्तोत्र
(प्राचीन हि०) १३३ पल्यबिधानकथा
| पार्श्वनाथस्तोत्र जिनराज सूरि (सं.) १४० पल्मन्नतोधापनपूजा शुभचंद्र (सं०) २०५
कमललाभ (हि.) १४. पत्यविधानकया अज्ञानसागर (हि.प.) २६५ षाचनामस्तोत्र. मनरंग पहेलियाँ
- (हि.) १३६ पार्श्वनामस्तोत्र जिनरा (दि.) १४० पाखशहदलन वीरभद्र (सं.) १८१ | पार्श्वनाथस्तोत्र
(हि.) ११२ पाखीसूत्र कुशल मुनि
| पार्थनामस्तोत्र मुनि पद्मनंदि। (सं.) २४. पाठसंग्रह
(प्रा.) १७२ पार्श्वनाथस्तोत्र राजसेन (iv) २६६ पाठसंग्रह
पाश्वनाथलधुस्तोत्र समयराज (हि.) १४० पाठसंग्रह
(सं.) १७२
पार्श्वनाथ का सालेहा अजयराज (हि.) ३०,१६३ प्राकृतव्याकरण
(सं०) २३० पाय जिनस्थान वर्णन सहजकीति (हि.) १४७ प्राकृतच्याकरण
(सं.) ३. पार्श्वनाधचरित्र भ० सकलकीर्ति (सं.) २१३ परिवपुराण बुलाकीदास (हि०)
पार्श्वपुराण भूधरदास (हि० ) ७२,१११, पोडवपुराण (सं.)६४, १२३
२१३ पार्श्वनाथपूजा
| पार्चलघुपाठ
(प्रा.) १.४ पार्श्वनामजयमाल (सं.) १५४ पास्तोत्र
(सं० ) ११२:२७६ पार्श्वनाथ की बीनती - (हि.) १५२ पार्श्वस्तोय पद्म प्रमदेय (सं० ) ११२,२८७ पावनागजिनस्तवन
(सं० ) १४० | पार्श्व भजन सहज कीति (हि.) १४७ पार्श्वनाथस्तवन
(हि.) १३८,२४० पार्श्वस्तोत्र हरखचंद ( धनराज के शिष्य ) (हि. ) २८८
प्रायश्चितसमुश्चय मंदिगुरु (सं० ) ३१,१८६ पावनापरतवन रंगवल्लभ (हि.) १४० । प्रायश्चितसंग्रह अंकलंक देव (सं.) १८६
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