Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
View full book text ________________
देवसेन
श्रुतमुनि
रामदेव
(३३४) ग्रन्थ नाम लेखक भाषा पत्रस० ग्रन्थ नाम
लेखक भाषा पत्र सं० भक्तामरस्तोत्र माषा या सहित विनोदीलाल (सं० ) १२६ | भवसिंधुचतुर्दशी बनारसीदास (हि) २६१ भक्तामरमंत्रसहित - (सं० ३१८ ! भत्र वैराग्यशतक भक्तामरस्तीप्रकथा
भागवत महापुराण भाषा नंददास भक्तिभावती (हि.) २६५ भारतीस्तोत्र
(सं.) २४२ मक्तिमंगल बनारसीदास (हि.) १५२ मावनाबत्तीसी अमितिगति (सं.) १५६,२५, भक्तिवर्णन
(प्रा.) १४ भावनावर्णन भगवतो पाराधनाभाष। मदा सुख कासलीवाल । हि. ) ३३,
असलीवालदि । सावसंग्रह मावसंग्रह
प्रा.१२.१८१
भावसंग्रह भगवतीसूत्र
(प्रा.) भात्रों का कथन
(हि.) ३७ भगवानदास के पद भगवानदास (हि.
भास
मनहरगान भट्टारक देवेन्द्रकोनि की पूजा --
मनहरण । हि०) २६२ सं.)
भाषाभूषण महाराज जसवंतसिंह (हि.) भट्टारकपट्टावरती
(हि०७० सारस्वत शर्मा (हि.)
भुवनेश्वरस्तोत्र सोमकीति (सं०) मडलीविचार
२७५ २५५
भूधरविलास भूधरदास हि ३१२ श्रा. रत्ननदि (सं.) ७३ किशनसिंह
| भूपालचतुर्विशति भूपाल कवि भद्रबाहुचरित्रभाषा
(40) १०६, २४२ भद्रबाहुचरित्रमाण चंपाराम (हि.) २०४
मोजचरित्र पाठक राजबल्लभ (सं.) ४ मयहरस्तोत्र
भोजपबंध प०अल्लारी मगहरस्तोत्र
(सं.) 10,२८८ भयहरपार्श्वनाथस्तोत्र --
प्रा. . | भातराजदिग्विजयवईनभाषा
मजालसराय की चिट्टी भरत पक्रवर्ति के :६ स्व सरनों का वर्णन (दि. १५ | मन्ग्रिहार गीत कवि वीर (हि.) २६३ भरतेश्वरवैभव
(यप० । ११. मातिसागर रोट की कथा - हि.) १५१ मत हरि की वार्ता
मदनपराजय नाटक जिनदेव (ग) ६१, २३४ भतृहरि शतक भर्तृहरि (सं०) ३१॥ | मदनपराजय भाषा स्वरूपचंद विलाला (हि.) १ भविष्यत्त चरित
श्रीधर
(अ५७) ७४ । मदनमंजरी कथा प्रबन्ध पोपट भविष्यदत्त चरित्र श्रीधर (रा) २६ | मध्यलोक वर्णन ...भविषदत्तपंचमी क्या पंधनपाल । अप • } ७३, २१६ मध्यलोक चैत्यालयबसौन --- भविष्यदत्ताचौपई व रायमल्त (हि.) १११, २१६ मधुमालती कथा चतुर्भुजदास (हि.) २८१,०६ भविष्यदत्तकमा
(दि. १६१ | मनराम विलास मनराम
Loading... Page Navigation 1 ... 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413