Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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३०.)
[ गुट के एवं संग्रह प्रन्य
कनककीर्ति अवगुनह बकसी नाथ मेरो ।
धानत समरण ही में त्यारो घानत प्रभु
मचराम अखियां बाज पवित्र भई मेरी
सोमा कही न जिनवर जाय जिनदर मूरति तेरी इस तरह के २२ पच और है ।
पेपन क्रिया पंचम काल का गरा भेद
ब्रह्मगुलाल करमचंद
६१३. गुट का नं० ११२-पत्र संख्या-३० । साइज-६४४ ६६ । भाषा-हिन्दी । लेखन काल-सं० १६ कार्तिक सुदी ११1 पूर्ण।
विशेष-गुणविवक वार नियाणा है ।
६१४. गुटका नं०११३-पत्र संख्या-६ । साइज-ix
| भाषा-हिन्दी संस्मत । लेखन काल-x।
पूर्ण।
विशेष-संबोधपंचासिका भाषा, बारह भावना, एवं पंचपरमेथ्यिों के मूल गुण आदि का वर्णन है।
६१५. गुटका नं. ११४- पत्र संख्या-१४ । साइज़-2x4 इश्च । भाषा-हिन्दी संस्कृत । वन काल-~| अपूर्ण ।
विशेष – त्रेपन भायों का वर्णन, नरकों के दो है, मक्तामर आदि सामान्य पाठों का संभ्रह है।
६१६. गुटका नं. ११५-- पत्र संख्या-७ | साइज-६४५ वृश्च | भाषा-हिन्दी-मरूत | लेमन काल-x} पूर्ण ।
विशेष-नित्य नियम पूजा, चौबीसठाणा चर्चा, समायिक पाठ यादि का संग्रह हैं। ६१७. गुटका नं० ११६-पत्र संख्या-३ | साइज-२४४ इन्ज । भाषा-हिन्दी । लेखन काल-x
पूर्ण।
विशेष-निम पाठों का संग्रह है।
की का नाम
माषा
विशेष
विषय-सूची जिनकुशलसरि बंद
स्ववन
जिनकुशलमूरि