Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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गुट के एवं संग्रह पन्थ ]
इह पोथी है साह की, पुड माल तसः नाम । मान महातमा लिपि करी, नगर थेवावती धाम ||
इसके अतिरिक्त चौवीस तीर्थकर स्तुति एवं कक्का बत्तीसी बादि पाठ और हैं। ६१०. गुटका नं० १०६-पत्र संख्या-१६४ । साइज-५१४४३ इच। भाषा-हिन्दी । लेखन काल-x1
पूर्ण।
विशेष-सुदर्शन रास -- पथ संख्या २०१ । लेखन कात्व -सं० १८०१ कार्तिक ९दा ८ । पूर्ण ! इसके अतिरिक्त १• और पाठ है । ६११. गुटका नं०११-पत्र संख्या १२० । साइज-६४५ इत्र । भाषा-हिन्दी । लेखन काले-४ । पूर्ण । विशेष-निम्न मुख्य पाठों का संग्रह है।
कर्ता का नाम
भाषा
विशेष
विषय सूची रंडागानीत शिवपच्चीसी समन शरणस्लोन पंचेन्द्रियवेलि
बनारसीदास
संस्कृत
कुरसी
बत्तीसी
मनाम
अंत में बहुतसी जन्मक ढलियां दी हुई हैं।
६१२. गुटका नं० १११-पत्र संख्या-५ से १०४ । साइज-६x४६ च । भाषा-हिन्दी । लेखन काल-XI पूर्ण
हिन्दी
विषय-सूची जिनसहस्रनाम मावा एकीमावस्तोत्र-भाषा भक्तामरस्तोत्र कल्याणमन्दिरस्तोत्र
फर्ता का नान
भाषा बनारसीदास जगजीवन
हेमराज बनारसीदास
दीपचंद सेवा में जाय सोही सफल पर्छ।
मेरे तो यह चात्र हैं निति दस्सख पाउं ।