Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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गुटके एवं संग्रह ग्रन्थ ]
[२८७ विशेष-थाचार्य कुन्दकुन्द कृत रामयसार गाथा मात्र है, अहबल विचार श्रादि पाठों का संग्रह हैं।
१४. गुटका नं.३ – पत्र संख्या-३३-१७ | साइज-६x४ च । भाषा-हिन्दी । लेखन काल-xi षपूर्ण
विशेष –नपानमा सीमा में हिन्दी के २४, १० हैं लेकिन वे कहीं २ अपूर्ण है। ५८५. गुटका नं.८४-पत्र संख्या-४० । साइन-७४४३ इन्न । साषा-हिन्दी । लेखन काल-x |
अपूर्ण।
विशेष-गुटके में कोई उल्लेखनीय पाठ नहीं है। ५८६. गुटका नं.८५-पत्र संख्या-८५ । साइज-६४४ इव । भाषा-हिन्दी । लेखन काल-X । पूर्ण । विशेष---शीलकथा-(भारामल्ल,) लावरी तथा समाधिमरण भाषा का संग्रह है ।
५८७. गुदका नं.८६-पत्र संख्या -२२ । साइन-1X४ च 1 माषा-हिन्दी । लेखन काल-X| अपूर्ण
विशेष-विभिन्न चक्र दिये हुए हैं जो भिन्न २ कार्य पृश्या से सम्बन्धित हैं। आगे उनके अलग ३ फल लखे हुए हैं।
५८८. गुटका नं. ८७–पत्र संख्या-१० | साइज-६३४४६ इन्न । भाषा-हिन्दी । लेखन काल-- । अर्ण ।
विशेष-मोह मदन कथा है । रचना काल-सं० १७६३ कार्तिक कुदी १२ है । जीर्ण तथा प्रशुद्ध प्रति है ।
५८१, गुटका नं. ८८-पत्र संख्या-१४६ | साइज-४५ च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी। लखन काल-xt
विशेष-मलामरस्तोत्र, सिद्धपियस्तात्र, पारश्व नायलोन (पदाप्रम), विषापद्वारस्तोत्र, परमज्योतिस्तात्र, आयुर्वेदिक नुससे, रत्नत्रय पूजा प्रादि पाठों का संग्रह है। बीसा यंघ भी है जो निम्न प्रकार है