Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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अन्तिम - हयति श्रति ऊमा करी | नंदरायतु बोल्यु चरी ॥ विनोद कथा नृप । नंद सीधी चुपई ||५
तप नायक हमुद जय श्री हेम विमल सूरंद || कान सील पंडित सुविचार | तास सिस्य कहि येह विचार || संवत १५ साठा मस्कार । चैत हृदि तेरसि वार ||
जे नर विदुर विशेष सु।ि मुनिवर कुल संघ भणि ॥
वंचित सदा नितु नगर संपदा || १५४||
।। इति विनोदे मंद वचसी चुपई समाप्त ||
संवत् १६ श्रीमत् काष्ठासंघे नंदीतट्टगच्चे विद्यागणे भ० रामसेनान्वये तदाम्बाये म० उदयसेन तत्पट्ट म० श्री त्रिभुवनकीर्तित्वामरथ दादिगजकेसरी उभयमाचाचक्रवर्ति भ० वी रत्नभूषण नरसिंह पुरा शातीय सांपडी गो सा० योगाभा विनादे सूत ब्रह्म श्री बलराज सखिप्य श्री मंगणात ।
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४८६. दशस्थान चौबीसी द्यानतराय
सूचना -X | लेखन काल सं० २०४४ पूर्ण बेटन नं० १२५
( म्फु रचनायें
पत्र संख्या ७ | साइज भाषा हिन्दी
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विशेष-वीस तीर्थकरों के नाम, माता पिता के नाम, ऊंचाई, आयु आदि १०, बातों का वर्णन है। मीठालाल शाह पावटा वाले ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी।
४७. समयसार कलशा - अमृतचंद्र पत्र संख्या १४ साइज ११३५ई इस भाषा | विजयधन्यात्म रचना काल-x खनाल-X पूर्ण वेष्टन नं० २८० । | | | |
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पद्मनन्दिपंचविंशतिका - पद्मनंदि पत्र संख्या ५६ सावन- ११६x४६ इत्र भाषासंस्कृत विषय धर्म रचना काल-काल- भपूर्ण वेष्टनं १ ।
विशेष - १०५ से धागे के पत्र नहीं है। प्रतियां और हैं।
४८६
पंचदशशरीरबन पत्र संख्या १ साइज ११३४ माषा-संस्कृत विश्वस्कुट रचना काल X] लेखन काल-X पूर्ण वेष्टन २०७४ |
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४६०.
प्रतिक्रमण सूत्र" " पत्र संख्या १०४ भाषा प्राकृत विषयधर्म रचना काल लेखन काल- पूर्ण वेष्टन नं० ४१०
४६१. प्रशस्त्रिका पत्र संख्या १६ साइज - १९४ म भाषा संस्कृत विषय विविध रचना काल -X | लेखन काल - x 1 पू । वेष्टन नं० ४२३ ।