Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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विषय - न्याय एवं दर्शन शास्त्र
१३६. श्राप्तपरीक्षा - विद्यानंद | पत्र संख्या ६ साइज - १०६४६ च । माषा-संस्कृत | विषय - दर्शन शास्त्र । रचना काल -X ! लेखन काल -X | पूर्ण वेष्टन नं० २०
विशेष – पंडित धरमू के पठनार्थं गयाससाहि के राज्य में प्रतिलिपि की गई थी ।
१४०. श्रालापपद्धति - देवसेन । पत्र संख्या - ११ | साइज - १०४ भाषा-संस्कृत विषयदर्शन शास्त्र । रचना काल -X | लेखन काल -X | पूर्ण । वेष्टन नं० २०६ |
विशेष—एक प्रति और हैं।
१४१. तर्कसंग्रह - अन्नंभट्ट रचना काल-× । लेखन काल - X | पूर्ण
¡
पत्र संख्या ६
बेष्टन नं० ३०३ ।
विशेष
मोतीलाल पाटनी ने प्रतिलिपि की भी । एक प्रति और है।
१४२. दर्शनसार - देवसेन । पत्र संख्या - ३ | साइज - ११३६
शास्त्र । रचना काल -X | लेखन काल - सं० १८७२ मंगसिर चुदी श्रमावस पूर्ण वेष्टन नं० २१७ ।
विशेष - २ प्रतियां और हैं ।
१४३. नयचक्र — देवसेन । पत्र संख्या ३२ । साइज - १२३४५६ | भाषा-संस्कृत विषय न्याय शास्त्र । रचना काल -X | लेखन काल- सं० १८२६ फागुन चुदी १२ । पू । वेष्टन नं० २०६ |
श्लोक संख्या - ४५३ है ।
१४४. न्यायदीपिका – धर्मभूषण पत्र संख्या - ४८ | साइज - ४ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषय - व्याग शास्त्र ] रचना काल -X | लेखन काल - सं० २००६ द्वि० भादवा सुदी ११ । पूर्ण । श्रेष्टन नं० २६८ ।
विशेष – देवीदास ने स्वपटनाथं शिखी थी ।
१४५. परिभाषा परिच्छेद (नयमूल सूत्र ) -- पंचानन भट्टाचार्य । पत्र संख्या - ११३ साइज - १०३४४ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय - दर्शन शास्त्र रचना काल - X 1 लेखन काल- पूर्ण वेष्टन नं० ४३७ ।
साइज १०४४ ६५ । माषा-संस्कृत विषय न्याय
शास्त्र
। माषा - प्राकृत विषय-दर्शन
अन्तिम — शति श्री महामहोपाध्याय सिद्धान्त पंचानन भट्टाचार्य कृत परिभाषा परिच्छेदः समाप्तः । १६६ श्लोक हैं प्रति प्राचीन मालूम देती है !
१४६. षट्दर्शन समुच्चय - हरिभद्रसूरि । पत्र संख्या- ७ | साइन - १०x४ इन्च | भाषा-सस्कृत | विषय-दर्शन शास्त्र । रचना काल -X | लेखन काल -X | पर्या । वेष्टन नं० २८४ ।