Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Author(s): Kasturchand Kasliwal, Anupchand
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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श्ररित्र एवं काव्य ]
[ २१६
२६. त्रिदम्बमुखमंडन - धर्मदास | पत्र संख्या- ३१३ साइज - ११४५ इन्च भाषा-संस्कृत İETA 28, 1963 Bisex I due sarees una do
विशेष— यति श्रमरदत्त ने जयपुर में स. १३१ में पंडित श्रीचंद के शिष्य नि मनोरथराम के पटना प्रतिलिपि कराई थी। व्रतसंस्कृत टीका सहित है।
२७. शिशुपालवध -- महाकवि माघ । पत्र संख्या - ११ । साइज - ११४५३ | भाषा-संस्कृत । विध-काव्य रचना काल - ] लेखन का -X पूर्ण | बेटन नं० ४२६ ।
विशेष – केवल १४ सर्ग की टीका है, टीकाकार मल्लिनाथ सूरि हैं।
२. श्रीपाल चरित्र - ब्रह्मनेमिदन्त । पत्र संख्या - ६६ | साइज - १९९५ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय-रचना काल० १५०८५ श्राबाद सुदी १५ | लेखन काल १४ श्रामीन सुदी १०१ पूर्णा । वैश्न नं० २२६ ॥
शेन पूनासा नगर के श्रादिनाथ वालय में ग्रन्थ रचना की गई थी ।
२६. श्रीपाल चरित्र - परिमस्त पत्र संख्या - १३५
अरि । रचना काल -४ । लेखन काल - । पू । वेष्टन नं० २७ ।
विशेष—४ प्रतियां और हैं।
२५०.
कचरित्र - शुभचंद्र पत्र संख्या - ११३ | साइज - ११६४ रचना काल -X | लेखन काल-सं० १७८५ यात्री २५ पूर्ण प्टन नं० २४१ |
- १२३ मात्रा-हिन्दी विषय-
माया-संस्कृत विषय
विशेषः - फोडी ग्राम में प्रतिलिपि हुई थी ।
२६१. सप्तव्यसन चरित्र भाषा | पत्र संख्या-१३ | सहज-१२-१३ | भाषा - हिन्दी गथ विषयचरित्र ] रचना काल-मं० १६२१ | लेखन काल -X | पूर्ण |ष्टननं
७ |
विशेष- रचना के मूलकर्ता सोमर्ति हैं ।
२२. सुकुमानचरित्र - सकलुकीति | पत्र संख्या ४३ साइज - १०३४४६ मात्रा-संस्कृत | विषय-परि | स्वनः का -X लेखन काल -x । पू । न नं० ४.१ ।
विशेष – १ सर्ग हैं | श्लोक संख्या १२०० हैं प पानी में भीगे हुए है ।
२५. सुकुरालचरित्र भाषा -- नाथूलाल होसी । पत्र संख्या २५-१९४३ । माषाहिन्दी अश्रु । विषय-चरित्र । रचना काल -X | लेखन काल - पूर्ण वेष्टन नं० १४० ।
विशेष - प्रारम्भ में चरित्र पत्र में दिया हुआ है फिर उसकी निकाली गई है।